केरल की पलक्कड़ जिले की रहने वाली 37 वर्षीय भारतीय नर्स, जो यमन में काम करने गई थीं. प्रिया 2011 में नौकरी के सिलसिले में यमन के सना शहर गई थीं और वहीं पर एक मेडिकल क्लिनिक शुरू किया.
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परिवार लौट आया भारत
2014 में उनके पति और बेटी वित्तीय संकट व गृहयुद्ध के कारण भारत लौट आए, जबकि प्रिया वहीं रहीं.
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क्लिनिक पार्टनर बना शोषक
प्रिया ने तालाल अब्दो महदी नामक यमनी नागरिक के साथ मिलकर क्लिनिक खोला, लेकिन बाद में वह प्रिया के खिलाफ हिंसक हो गया.
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झूठी शादी और जबरन नियंत्रण
महदी ने फर्जी विवाह दस्तावेज तैयार किए और प्रिया का पासपोर्ट जब्त कर लिया, साथ ही उन पर ड्रग्स के जरिए नियंत्रण रखा.
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2017 में हुई हत्या
प्रिया ने अपने पासपोर्ट को वापस पाने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन दवा की ज्यादा मात्रा से उसकी मौत हो गई.
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शव को ठिकाने लगाने की कोशिश
स्थानीय महिला हनान की मदद से शव को टुकड़े-टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंका गया. यह बात सामने आते ही मामला उजागर हो गया.
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2020 में मौत की सजा
यमनी अदालत ने 2020 में प्रिया को मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में हूती प्रशासन की सर्वोच्च अदालत ने बरकरार रखा.
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भारत सरकार की कोशिशें जारी
भारत सरकार लगातार यमन से बातचीत कर रही है, लेकिन हूती प्रशासन से औपचारिक राजनयिक संबंध न होने के कारण मुश्किलें आ रही हैं.
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16 जुलाई को संभावित फांसी
अब फांसी की तारीख 16 जुलाई तय है, और प्रिया सना की जेल में आखिरी फैसले का इंतजार कर रही हैं.