ट्रंप टैरिफ से 'ब्लैक ट्यूसडे' की याद ताजा, निवेशकों में घबराहट
Ritu Sharma
2025/04/07 11:16:52 IST
ट्रंप के टैरिफ से फिर उथल-पुथल
डोनाल्ड ट्रंप ने 180 से ज्यादा देशों पर रियायती रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिए हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में हाहाकार मच गया है. अमेरिका, एशिया और यूरोप में भारी गिरावट देखी जा रही है.
Credit: Social Mediaशेयर बाजारों में ऐतिहासिक गिरावट
टैरिफ के ऐलान के बाद दुनियाभर के शेयर बाजार धड़ाम हो गए. निवेशकों में डर का माहौल बन गया है और आर्थिक मंदी की आहट सुनाई देने लगी है.
Credit: Social Mediaयाद आया 1929 का 'ब्लैक ट्यूसडे'
29 अक्टूबर 1929, जब न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ध्वस्त हो गया और इसके साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था डूब गई. एक ही दिन में 11.73% की गिरावट से लाखों डॉलर स्वाहा हो गए थे.
Credit: Social Mediaडूब गए बैंक और बचतें
महामंदी के दौरान करीब 11,000 अमेरिकी बैंक बंद हो गए. लोगों की जीवनभर की जमा पूंजी पानी में चली गई और बाजार पर से भरोसा उठ गया.
Credit: Social Mediaरोजगार गया, लोग हुए बेघर
शेयर बाजार के साथ ही उद्योग-धंधे भी ठप हो गए. बेरोजगारी दर चरम पर पहुंची और लोग सड़कों पर आ गए. मुफ्त खाने के लिए कतारें लगने लगीं.
Credit: Social Mediaरूजवेल्ट का न्यू डील मॉडल
महामंदी से निपटने के लिए राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 'न्यू डील' के तहत कई योजनाएं शुरू कीं – CWA, SEC, TERA जैसी योजनाओं ने अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे संभाला.
Credit: Social Mediaपर्ल हार्बर और अमेरिका की वापसी
दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका की एंट्री से उद्योगों को नया जीवन मिला और रोजगार के अवसर बढ़े. अमेरिका फिर से वैश्विक आर्थिक शक्ति बन गया.
Credit: Social Media1929 के बाद आई प्रमुख आर्थिक मंदियां
1973 का तेल संकट, 2002 की डॉट-कॉम क्रैश, 2008 का हाउसिंग संकट और 2020 की कोरोना मंदी ने दुनिया को झकझोरा, लेकिन 1929 की महामंदी सबसे भयावह रही.
Credit: Social Mediaआज भी सता रहा वैसा ही डर
ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक बाजारों की हालत देखकर विशेषज्ञों को फिर उसी 'ब्लैक ट्यूसडे' का डर सता रहा है.
Credit: Social Mediaइतिहास से सबक
इतिहास यही सिखाता है कि जब बाजार लालच और लापरवाही से भर जाते हैं, तब कोई एक घटना उसे तबाह करने के लिए काफी होती है.
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