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क्या है मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि बनाम ईदगाह विवाद?


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2024/08/01 14:41:12 IST
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अब चलेगा ट्रायल

    कृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी याचिकाओं पर अब ट्रायल चलेगा. आइए जानते हैं ये केस क्या है.

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क्या है मथुरा जन्मभूमि विवाद केस?

    शाही ईदगाह मस्जिद को हिंदू पक्ष, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मानता है.

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मुगलकाल में मंदिर तोड़ बना मस्जिद

    हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगलकाल में मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद बना दी गई थी.

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350 साल पुराना है ये विवाद

    ईदगाह का यह केस 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा है. 11 एकड़ में कृष्ण मंदिर है, वहीं 2.3 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के पास है.

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हिंदू पक्ष का दावा क्या है?

    हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जमीन कृष्णजन्मभूमि है. औरंगजेब के शासनकाल में 350 साल पहले यहां मस्जिद बनी.

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औरंगजेब ने तुड़वाया था मंदिर?

    औरंगजेब ने साल 1670 में कृष्ण जन्मस्थान तोड़ने का आदेश दिया था. मंदिर तोड़ने के बाद ईदगाह मस्जिद बनी.

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इतालवी यात्री ने भी किया है दावा

    इतालवी यात्री निकोलस मनूची ने अपनी किताब में दावा किया था कि रमजान के पवित्र महीने में मस्जिद तोड़ दी गई थी.

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मराठों ने छुड़ाई थी ये जमीन

    जब मस्जिद बन गई तब इस जमीन पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया था. हिंदू यहां जा तक नहीं सकते थे. मराठों ने 1770 में इस पर कब्जा किया और मंदिर बनवाया.

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अंग्रेजों ने बिगाड़ा माहौल

    साल 1815 में अंग्रेजों ने इस जमीन को नीलाम कर दिया था, जिसके काशी के राजा ने खरीदा था. तब ये जमीन खाली पड़ी थी. मुस्लिमों ने इसे कब्जा लिया.

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किशोर बिड़ला ने किया कमाल

    साल 1944 में किशोर बिड़ला ने ये जमीन खरीदी और 1951 में जन्मस्थान ट्रस्ट बना. 1953 में मंदिर बना.

समझौता भी हुआ

    मुस्लिम पक्ष के साथ एक डील हुई कि जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों रहेंगे.

क्या चाहते हैं हिंदू?

    कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट इस समझौते को नहीं मानता है.

अतिक्रमण है ये मस्जिद, हिंदू पक्ष का दावा

    सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद समिति पर आरोप है कि ये अतिक्रमण की जमीनें हैं, इन्हें खाली करना चाहिए. मुस्लिम यहां प्रवेश न करें.

ये दावे गहरा करते हैं संदेह

    ट्रस्ट के वकील की मानें तो मस्जिद के पिलर पर कमल बने हैं, हिंदू पक्ष चाहता है मस्जिद हटा दी जाए.

क्या है ईदगाह मस्जिद का तर्क?

    शाही ईदगाह मस्जिद समिति और यूपी सुन्नल सेंट्रल वक्फ के मुताबिक ये जमीन केशव देव मंदिर की नहीं है. मस्जिद के नीचे जन्मभूमि नहीं है. यह प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ है.

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