क्या है क्लाउड सीडिंग जिससे दिल्ली में होगी कृत्रिम बारिश
लोग स्मॉग की मोटी चादर तले जहरीली सांस लेने को मजबूर हैं.
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ऐसे में दिल्ली सरकार क्लाउड सीडिंग पर विचार कर रही है
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क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराई जाती है ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके.
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क्लाउड सीडिंग बादलों में मौजूद नमी में वाष्पीकरण की प्रक्रिया को तेज कर देती है जिससे बारिश होने लगती है.
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इस प्रक्रिया में बादलों में सिल्वर आयोडाइड और क्लोराइड जैसे लवणों (नमक) का स्प्रे किया जाता है.
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स्प्रे में मौजूद लवणों के महीन कण आइस न्यूक्लियेटिंग पार्टिकल की तरह काम करते हैं.
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इससे बर्फ के क्रिस्टल बादल बनने लगते हैं. इसके बाद बादल में मौजूद नमी बर्फ के क्रिस्टल को घेर लेती है और इन्हें वाष्पीकृत कर बारिश में बदल देती है.
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हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्लाउड सीडिंग से इतने बादल नहीं बन पाएंगे कि पूरी दिल्ली कवर हो सके. कुछ ही किमी को कवर करना बेहतर होगा.
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कृत्रिम बारिश के लिए सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग केंद्रीय मंत्रालयों की मंजूरी भी लेगी होगी.
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