135 साल, 1 रेजिमेंट… क्या है गढ़वाल राइफल्स की अनसुनी कहानी?


Anvi Shukla
2025/05/05 11:06:26 IST

वीरता की 135 साल की कहानी

    गढ़वाल राइफल्स का 135वां स्थापना दिवस आज मनाया जा रहा है. उत्तराखंड की माटी में जन्मी यह रेजिमेंट शौर्य का प्रतीक है.

Credit: social media

1887 में हुई थी शुरुआत

    गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 5 मई 1887 को अल्मोड़ा में हुई. बाद में छावनी लैंसडाउन में बनाई गई.

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लैंसडाउन बना केंद्र

    लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर कालुडांडा का नाम बदला गया और यहीं गढ़वाल राइफल्स की मुख्य छावनी बनी.

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पहचान बना बाज का बैज

    पहले खुखरी बैज हटाकर बाज वाला बैज अपनाया गया. यह गढ़वाल राइफल्स की अलग और वीर पहचान बना.

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2 से 22 तक बटालियन

    गढ़वाल राइफल्स की अब 2 से लेकर 22 तक कई यूनिट्स हैं. स्काउट्स और ईको बटालियन भी इसमें शामिल हैं.

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हर युद्ध में दिखाया पराक्रम

    पहला विश्व युद्ध, कारगिल युद्ध, 1965-71 के युद्धों में गढ़वाली जवानों ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया.

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गब्बर सिंह नेगी जैसे वीर

    वीर गब्बर सिंह नेगी, चंद्र सिंह गढ़वाली जैसे बहादुरों ने गढ़वाल राइफल्स का मान बढ़ाया.

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युद्ध नारा - बद्री विशाल लाल की जय

    गढ़वाल राइफल्स का युद्धघोष 'बद्री विशाल लाल की जय' सैनिकों में जोश और जुनून भर देता है.

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युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि

    स्थापना दिवस पर जवान युद्ध स्मारक पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को याद करते हैं और रेजिमेंट की समृद्धि की कामना करते हैं.

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उत्तराखंड का गर्व - गढ़वाल राइफल्स

    गढ़वाल राइफल्स ना सिर्फ सेना की ताकत है, बल्कि उत्तराखंड की वीर परंपरा और सम्मान की पहचान भी है.

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