DRDO द्वारा विकसित HSTDV, मैक 6-12 की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है. ये हथियार न सिर्फ दुश्मन की रडार से बचता है, बल्कि पाकिस्तान-चीन के शहरों को मिनटों में तबाह करने की क्षमता भी रखता है.
Credit: Social Media
ब्रह्मोस-2
ब्रह्मोस-2, ब्रह्मोस-1 से कहीं अधिक तेज़ और घातक है. इसकी मैक 7-8 की गति, 1500 किमी की रेंज और मल्टी प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमताएं इसे चीन-पाकिस्तान के लिए खतरनाक बनाती हैं.
Credit: Social Media
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (DEW)
लेजर व माइक्रोवेव आधारित ये हथियार दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को चुपचाप और तुरंत निष्क्रिय कर सकते हैं. DRDO इसका परीक्षण कर रही है.
Credit: Social Media
नौसैनिक ड्रोन
भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों में ड्रोन को एकीकृत कर रही है जो रीयल टाइम निगरानी, दुश्मन की पहचान और सटीक हमलों के लिए सक्षम हैं. यह भारत की समुद्री सीमा को मजबूत करता है.
Credit: Social Media
'जोरावर' लाइट टैंक
DRDO और L&T द्वारा विकसित जोरावर टैंक खासतौर पर लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो T-90 जैसे भारी टैंकों की सीमाएं पार करता है.
Credit: Social Media
मल्टी रोल हेलिकॉप्टर
HAL का IMRH भारतीय सेना की मल्टी रोल आवश्यकताओं को पूरा करेगा. यह हेलिकॉप्टर हाई-एल्टीट्यूड मिशन, युद्ध और समुद्री अभियानों में प्रभावी साबित होगा.
Credit: Social Media
रणनीतिक बढ़त से ग्लोबल प्रभाव
इन सभी हथियार प्रणालियों से भारत को जवाबी और पहले हमले की क्षमता मिलती है. यह पाकिस्तान-चीन के लिए चेतावनी है और भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का सबूत.