अखिल चंद्र न होते तो रेलवे में टॉयलेट न होते, जानें पूरी कहानी?


Babli Rautela
2025/04/16 13:42:08 IST

ट्रेनों में शौचालय

    भारतीय रेल यात्रा का प्रमुख साधन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1909 से पहले ट्रेनों में शौचालय नहीं थे?

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आखिल चंद्र सेन का योगदान

    पश्चिम बंगाल के आखिल चंद्र सेन ने 1909 में एक पत्र लिखकर रेलवे को शौचालय की आवश्यकता बताई थी जब पेट खराब होने के कारण उनकी ट्रेन छूट गई.

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पत्र ने बदली रेलवे की दिशा

    आखिल चंद्र के पत्र में स्टेशन पर उनकी शर्मनाक स्थिति का जिक्र था. इसने रेलवे अधिकारियों को यात्रियों की परेशानी समझने और ट्रेनों में शौचालय शुरू करने के लिए प्रेरित किया

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56 साल का लंबा इंतजार

    1853 में भारत की पहली ट्रेन चली, लेकिन शौचालय की सुविधा 1909 में ही शुरू हुई. इस बदलाव ने लंबी दूरी की यात्रा को और सुविधाजनक बनाया.

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रेल संग्रहालय में सुरक्षित पत्र

    आखिल चंद्र का वह ऐतिहासिक पत्र आज भी रेल संग्रहालय में संरक्षित है, जो भारतीय रेलवे के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाता है.

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लोको पायलटों की कहानी

    यात्रियों को 1909 में शौचालय मिल गया, लेकिन लोको पायलटों को यह सुविधा 2016 तक इंतजार करना पड़ा. तब जाकर रेल इंजनों में शौचालयों की शुरुआत हुई.

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वंदे भारत जैसी सुविधाएं

    आज वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें होटल जैसी सुविधाएं देती हैं, जो भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और यात्रियों के आराम का प्रतीक है.

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शौचालयों ने बढ़ाया यात्रा का आराम

    ट्रेनों में शौचालयों की शुरुआत ने यात्रियों के लिए लंबी दूरी की यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाया, जिससे रेलवे की लोकप्रियता और बढ़ी.

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भारतीय रेलवे का बदलता चेहरा

    आखिल चंद्र जैसे यात्रियों की पहल और रेलवे के प्रयासों से आज भारतीय रेलवे विश्व स्तर की सुविधाओं की ओर अग्रसर है.

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