भारत में किस तरह लागू हुई थी Emergency, 10 प्वाइंट्स में समझिए
Shilpa Srivastava
2025/06/25 09:12:55 IST
आपातकाल की घोषणा
25 जून 1975 की रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी. इसका आधार सुप्रीम कोर्ट का फैसला था, जिसमें उन्हें चुनावी अनियमितताओं का दोषी ठहराया गया था. इस निर्णय ने राजनीतिक संकट को जन्म दिया.
Credit: Social Mediaमौलिक अधिकारों का निलंबन
आपातकाल लगते ही देश के नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार समाप्त कर दिए गए. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार भी छीन लिया गया.
Credit: Social Mediaचुनावों पर रोक
इस दौरान देश में सभी प्रकार के चुनाव टाल दिए गए. लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लग गया और सत्ता एक ही दल और नेता के हाथों में केंद्रित हो गई.
Credit: Social Mediaविपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां
5 जून की रात से ही अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और जयप्रकाश नारायण जैसे तमाम विपक्षी नेताओं को बिना किसी आरोप के गिरफ्तार कर लिया गया.
Credit: Social Mediaजेलों में जगह की कमी
इतनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हुईं कि देशभर की जेलें भर गईं. हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सामान्य नागरिकों को भी बंदी बनाया गया.
Credit: Social Mediaप्रेस की स्वतंत्रता खत्म
मीडिया पर सख्त सेंसरशिप लगा दी गई. हर अखबार में एक सेंसर अधिकारी नियुक्त किया गया. सरकार के खिलाफ कोई खबर छापना असंभव हो गया. स्वतंत्र पत्रकारिता पूरी तरह खत्म हो गई थी.
Credit: Social Mediaजबरन नसबंदी अभियान
संजय गांधी के नेतृत्व में जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर लाखों पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई. खासकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोग इस क्रूर नीति का शिकार बने.
Credit: Social Mediaजनता में भय और असंतोष
सरकार और पुलिस के अत्याचारों के चलते आम जनता भयभीत थी. प्रशासनिक मनमानी और अत्याचार की कई कहानियां आपातकाल के बाद सामने आईं.
Credit: Social Mediaलोकतंत्र की नई चेतना
आपातकाल के समाप्त होने के बाद देश में लोकतंत्र के प्रति एक नई जागरूकता आई. लोगों ने अपने अधिकारों को पहचाना और उन्हें लेकर सतर्क हुए.
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