इन फिल्मों से शबाना आजमी ने बदला भारतीय सिनेमा का चेहरा!


Babli Rautela
2025/09/18 08:47:35 IST

अंकुर (1974)

    श्याम बेनेगल की इस फिल्म में शबाना ने लक्ष्मी का किरदार निभाया, जो एक गांव की महिला है जो सामाजिक बंधनों और शोषण के खिलाफ संघर्ष करती है.

Credit: Social Media

अर्थ (1982)

    महेश भट्ट की "अर्थ" में शबाना ने पूजा के रूप में दमदार अभिनय किया, जो विश्वासघात के बाद आत्मनिर्भरता की राह चुनती है.

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मासूम (1983)

    शेखर कपूर की इस फिल्म में शबाना ने इंदु की भूमिका में एक मां के जटिल भावनाओं को बखूबी दर्शाया है.

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मंडी (1983)

    रुक्मिणी बाई के किरदार में शबाना ने एक वेश्यालय की मालकिन को जीवंत किया.

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स्पर्श (1980)

    सई परांजपे की "स्पर्श" में शबाना ने कविता के रूप में एक विधवा की नाजुक भावनाओं को बखूबी उकेरा.

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अवतार (1983)

    मोहनलाल के साथ शबाना ने राधा के किरदार में एक ऐसी पत्नी को चित्रित किया, जो विपरीत परिस्थितियों में भी मजबूती से खड़ी रहती है.

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भावना (1984)

    "भावना" में शबाना ने एक परित्यक्त महिला की जिंदगी को गहराई से दर्शाया. इस किरदार के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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निशांत (1975)

    श्याम बेनेगल की इस फिल्म में शबाना ने एक गांव की महिला का किरदार निभाया, जो सामंती व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाती है.

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स्वामी (1977)

    बासु चटर्जी की "स्वामी" में शबाना ने सौदामिनी के रूप में परंपराओं और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच संतुलन बनाया.

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