महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम के पौत्र बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना सिर दान में दे दिया था. श्रीकृष्ण के वरदान के कारण कलयुग में उन्हें श्याम नाम से जाना गया.
इस दिन होता है जन्मोत्सव
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम जी का जन्मदिवस मनाया जाता है.
लाखों लोग करने आते हैं दर्शन
इस दिन लाखों लोग खाटू वाले श्याम का दर्शन करने आते हैं.
किससे हुई थी खाटू वाले श्याम की शादी
भीम के पौत्र बर्बरीक अत्यंत सुंदर थे. बचपन में जब इन्होंने एक सुंदर ब्राह्मण की कन्या को देखा तो उस पर मोहित हो गए थे.
यह था बचपन का नाम
खाटू श्याम जी के बचपन का नाम टेसू था. इनको बर्बरीक के नाम से भी जानते हैं.
शरद पूर्णिमा के दिन हुई थी शादी
बर्बरीक (टेसू) की शादी शरद पूर्णिमा के दिन हुई थी, लेकिन उनके सिर्फ साढ़े तीन ही फेरे पड़े थे. इसके बाद बर्बरीक को युद्ध में हराकर कन्या को अपने साथ ले गए थे, क्योंकि बर्बरीक की दादी राक्षस कुल की थीं.
कन्या की कर दी थी हत्या
बर्बरीक के आधा विवाह होने के कारण कन्या को भ्रष्ट मान उसकी हत्या कर दी गई थी. इसकी कारण टेसू और झांझी का ब्याह कभी पूरा नहीं कराया जाता है.
शुरु हुआ टेसू और झांझी का ब्याह
आज भी गांवों में और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड आदि में आज भी टेसू और झांझी के ब्याह की परंपरा निभाई जाती है.