पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये काम, वरना पितृ हो जाएंगे नाराज


Km Jaya
2025/09/06 10:23:53 IST

पितृपक्ष का महत्व

    सनातन धर्म में पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष कहा जाता है. इन 15 दिनों में पितर धरती पर आते हैं और आशीर्वाद देते हैं.

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तर्पण और श्राद्ध का महत्व

    तर्पण और श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

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मांगलिक कार्य न करें

    पितृपक्ष में विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं.

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इन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें

    शराब, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सरसों का साग और मसूर की दाल का सेवन वर्जित है.

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तर्पण में तिल का प्रयोग

    तर्पण के लिए काले तिल का उपयोग शुभ माना जाता है. सफेद तिल का प्रयोग भूलकर भी न करें.

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बर्तनों का चयन

    श्राद्ध भोजन लोहे और स्टील के बर्तनों में न पकाएं. पीतल या तांबे के बर्तनों का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है.

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श्राद्ध का भोजन बिना चखे बनाएं

    पितरों के लिए बनाया भोजन बिना चखे और बिना पहले खाए बनाना चाहिए.

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अतिथि और जीव-जंतुओं का अपमान न करें

    अगर आपके द्वार पर गाय, ब्राह्मण, कुत्ता या भिखारी आए तो उनका आदर करें, अपमान करने से पितर नाराज हो सकते हैं.

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झूठ और बुरे कर्म से बचें

    इन दिनों में झूठ बोलना, अपशब्द कहना, छल करना या ब्रह्मचर्य का उल्लंघन पितरों को नाराज करता है.

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तर्पण का उचित समय

    तर्पण और श्राद्ध के लिए दोपहर का समय शुभ है. ब्रह्म मुहूर्त या सुबह इसे न करें.

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