क्या इंसान अकेला है या अंतरिक्ष में कोई और सभ्यता भी मौजूद है? यह सवाल वर्षों से वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उत्सुक करता रहा है. अब इसी बहस के बीच हार्वर्ड के प्रसिद्ध थ्योरिटिकल फिजिसिस्ट एवी लोएब ने एक नया दावा करते हुए कहा है कि 2030 तक एलियन संपर्क की पुष्टि हो जाएगी. 3I/ATLAS नामक इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट को लेकर जारी विवाद के बीच यह बयान दुनियाभर में चर्चा का कारण बना हुआ है.
एवी लोएब ने हाल में इस दावे को और मजबूत किया कि 3I/ATLAS कोई साधारण धूमकेतु नहीं, बल्कि एक संभावित एलियन “स्पेसशिप” हो सकता है. उनके बयान ने इतनी हलचल मचाई कि NASA तक को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी. हालांकि एजेंसी ने इसे साफ तौर पर एक धूमकेतु बताया और अफवाहों को खारिज किया लेकिन लोएब ने अपनी राय बदली नहीं. उनका मानना है कि मानवता ब्रह्मांड में अकेली नहीं हो सकती और इसके प्रमाण जल्द सामने आएंगे.
एलियन संपर्क के मुद्दे पर लोएब और वैज्ञानिक इतिहासकार माइकल शेरमर के बीच एक अनोखी शर्त लगी है. लोएब ने 1,000 डॉलर दांव पर लगाए हैं, जो बाद में चैरिटी को जाएगा. शर्त यह है कि 31 दिसंबर 2030 तक NASA, NSF या AAS में से कम से कम दो संस्थाएं एलियन इंटेलिजेंस या तकनीकी संकेतों की पुष्टि कर दें. लोएब का कहना है कि 2025 के बाद तकनीकी आर्टिफैक्ट्स की खोज तेज हुई है और परिणाम जल्द मिल सकते हैं.
एवी लोएब का तर्क है कि हमारी आकाशगंगा में अरबों 'Earth-Sun' सिस्टम हैं, जिनमें से कई हमारी सभ्यता से अरबों साल पुराने हैं. ऐसे में इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट्स, यूएपी या किसी तकनीकी आर्टिफैक्ट का मिलना असंभव नहीं. वे कहते हैं कि वैज्ञानिक खोजों में आशावादी होना जरूरी है, क्योंकि कई बार उम्मीद ही उपलब्धि का रास्ता बनती है. उनका मानना है कि हम “इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट्स के साथ ब्लाइंड डेट” पर हैं और शायद जल्द कोई पार्टनर मिल जाए.
दूसरी ओर, माइकल शेरमर इस दावे को अवास्तविक बताते हैं. उनके अनुसार 1992 से यूएफओ विशेषज्ञ बार-बार कहते आए हैं कि एलियन संपर्क का खुलासा बहुत जल्द होगा, लेकिन अब तक कोई सबूत नहीं मिला. शेरमर का तर्क है कि वैज्ञानिक जांच में केवल उम्मीद नहीं, बल्कि प्रमाण मायने रखते हैं. उन्होंने कहा कि बीते 33 वर्षों में हर भविष्यवाणी गलत साबित हुई, इसलिए 2030 वाला दावा भी सिर्फ अटकल भर है.
शेरमर का कहना है कि एलियंस को लेकर हर दशक नई भविष्यवाणियां सामने आती हैं, लेकिन वे अंत में सिर्फ चर्चा बनकर रह जाती हैं. वे यह भी जोड़ते हैं कि जब तक किसी अंतरिक्ष एजेंसी या वैज्ञानिक संगठन से ठोस प्रमाण नहीं मिलते, कोई भी दावा सिर्फ कल्पना ही माना जाएगा. फिर भी दुनिया को लोएब और शेरमर की इस हाई-प्रोफाइल शर्त ने विज्ञान समुदाय में एक रोचक बहस जरूर छेड़ दी है.