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10 साल पहले चोरी हुआ था सामान, अब रेलवे पर लगा तगड़ा जुर्माना; शख्स की हो गई बल्ले-बल्ले

Indian Railway: 10 साल पहले यानी 2014 में ट्रेन में सफर के दौरान एक शख्स का सामान चोरी हो गया था. चोरी के बाद शख्स ने कंज्यूमर कोर्ट में रेलवे पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हर्जाने की मांग की. 10 साल बाद कंज्यूमर कोर्ट ने रेलवे से पीड़ित शख्स को हर्जाने के रूप में 1.45 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया है.

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Indian Railway: दिल्ली-पटना ट्रेन में एक पैसेंजर का सामान चोरी होने के 10 साल बाद कंज्यूमर कोर्ट ने रेलवे को 1.45 लाख रुपये देने का आदेश दिया है. पैसेंजर ने कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि रेलवे अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनका सामान चोरी हो गया था. पैसेंजर के आरोप के बाद रेलवे ने तर्क दिया कि अगर कोई शख्स अपने पास अपना सामान रखता है या फिर ऑन बुक गई सामान की चोरी के लिए हम जिम्मेदार नहीं है.

दिल्ली में एक जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (District Consumer Disputes Redressal Commission) ने पिछले सप्ताह नॉर्थ रेलवे को एक पैसेंजर को 1.45 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था.जिस शख्स को भुगतान करने का आदेश दिया गया था, उसका सामान 2014 में ट्रेन में यात्रा के दौरान चोरी हो गया था. जानकारी के मुताबिक, शख्स के सामान की कीमत 1.2 लाख रुपये थी. 

यात्री के बैग में क्या-क्या था?

जिस पैसेंजर का सामान चोरी हुआ था, उनका नाम अजॉय कुमार है. उन्होंने बताया कि बैग में एक सोने की चेन, एक सोने का अंगूठी, चार साड़ियां और दो सूट थे, जिसे चोरी कर लिया गया था. अजॉय कुमार ने तर्क दिया था कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनका सामान चोरी हो गया था. भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 100 का हवाला देते हुए कहा गया कि पैसेंजर की शिकायत को खारिज कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि रेलवे बिना बुक किए गए सामान के लिए उत्तरदायी नहीं है.

रेलवे के तर्क पर NCDRC ने क्या कहा?

रेलवे के तर्क दिए जाने के बाद पैसेंजर का पक्ष लेते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने 16 अप्रैल को कहा कि यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लापरवाही के लिए रेलवे को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है. रेलवे ने ये भी तर्क दिया कि चोरी की घटना के 10 महीने बाद FIR दर्ज की गई थी, जबकि कंज्यूमर फोरम में इसकी शिकायत 2 साल बाद की गई थी. 

रेलवे की तर्कों को खारिज करते हुए आयोग ने माना कि यात्री ने शुरू में एफआईआर के लिए टीटीई से कॉन्टेक्ट किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. एनसीडीआरसी ने ये भी कहा कि शिकायतकर्ता ने न्यू में बड़ौदा हाउस में रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) से संपर्क किया. चोरी की बात स्वीकारी गयी, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी.