राजस्थान की राजधानी जयपुर का एक ऐसा मंदिर है जो 700 साल पुराना है और इसका इतिहास तो जयपुर शहर के बसने से पहले का है. कहते हैं कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे तो आइए आपको ले चलते हैं भोलेनाथ के इस मंदिर में. गुलाबी नगरी जयपुर को छोटी काशी भी कहा जाता है यहां अनेकों प्राचीन मंदिर हैं, इन सब के बीच में जयपुर का तारकेश्वर महादेव मंदिर यहां का काफी प्रचलित मंदिर है. आज इंडिया डेली की टीम आपको इसी प्राचीन मंदिर के दर्शन कराने निकली है.
जयपुर शहर के चौड़ा रास्ता एरिया में मार्केट के बीचों-बीच ताड़केश्वर महादेव का ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापत्य कला में राजस्थानी स्थापत्य और स्थानीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। जयपुर की स्थापना वर्ष 1727 में हुई। शहर की स्थापना आमेर के महाराज जय सिंह द्वितीय ने की थी और उन्हीं के नाम पर शहर का नाम जयपुर पड़ा। अपनी स्थापना के समय जयपुर का नाम जैपर था, जो कालांतर में जयपुर हो गया। कहा जाता है कि जयपुर की स्थापना से पहले से ही यहां शिवलिंग स्थापित है।
कहा जाता है कि जिस स्थान पर ताड़केश्वर महादेव मंदिर स्थित है, वहां एक समय पर ताड़ के बहुत सारे पेड़ हुआ करते थे. एक बार अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के व्यास ने सांगानेर जाते समय यहां पर कुछ देर के लिए विश्राम किया और उन्होंने ही यहां के शिवलिंग के दर्शन किए थे. पहले इस ताड़केश्वर महादेव मंदिर को पहले ताड़कनाथ के नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है यानी वह स्वयं प्रकट हुआ है.