आखिर क्यों अटका है ITR Refund? लाखों टैक्सपेयर्स की बड़ी टेंशन, जानिए क्या है देरी की असली वजह

देश के लाखों टैक्सपेयर्स अब तक अपने ITR रिफंड का इंतजार कर रहे हैं. आयकर विभाग के अनुसार संदिग्ध कटौती दावे, गलत जानकारी और बैंक डिटेल की समस्याओं के कारण रिफंड प्रक्रिया में देरी हो रही है.

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Kuldeep Sharma

आकलन वर्ष 2025–26 के लिए रिटर्न भरने और सत्यापन पूरा करने के बावजूद कई टैक्सपेयर्स को अभी तक ITR रिफंड नहीं मिला है. विभाग का कहना है कि कटौती दावों में गड़बड़ियों की जांच और अधूरी जानकारी देने की वजह से रिफंड रोककर जांच की जा रही है. 

जहां छोटे रिफंड जारी किए जा चुके हैं, वहीं बाकी मामलों को दिसंबर तक निपटाने की उम्मीद जताई गई है. इस बीच, लोग पोर्टल पर अपने रिफंड की स्थिति लगातार ट्रैक कर सकते हैं.

रिफंड में देरी क्यों हो रही है?

CBDT चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बताया कि बड़ी संख्या में कटौती और रिफंड दावों में अनियमितताएं मिली हैं, जिनकी वजह से मामलों की अतिरिक्त जांच की जा रही है. जिन टैक्सपेयर्स ने आवश्यक जानकारी छोड़ दी है, उन्हें संशोधित रिटर्न भरने की सलाह दी गई है, जिससे प्रक्रिया और लंबी हो जाती है.

कब आएगा आपका ITR रिफंड?

अग्रवाल के अनुसार छोटे और बिना विवाद वाले रिफंड जारी कर दिए गए हैं. हालांकि कई मामलों में गलत दावे पाए जाने से फाइलें आगे की जांच में चली गईं. उन्होंने कहा कि रिफंड प्रसंस्करण लगातार जारी है और विभाग दिसंबर तक अधिकांश लंबित रिफंड जारी करने की कोशिश कर रहा है.

रिफंड स्टेटस कैसे चेक करें?

रिफंड की स्थिति जानने के लिए टैक्सपेयर e-Filing पोर्टल पर लॉगिन कर ‘View Filed Returns’ सेक्शन में जा सकते हैं. यहां से संबंधित आकलन वर्ष चुनकर रिफंड की स्थिति देखी जा सकती है. ‘View Details’ पर क्लिक कर रिटर्न की प्रोसेसिंग टाइमलाइन और पूरा लाइफ साइकिल भी देखा जा सकता है, जिससे पता चलता है कि रिटर्न किस स्तर पर अटका है.

रिफंड स्टेटस के अलग-अलग संदेश

पोर्टल पर विभिन्न स्टेटस दिखाई देते हैं-
• रिफंड जारी: जब रिफंड सफलतापूर्वक भेज दिया गया हो.
• रिफंड आंशिक समायोजित: जब कुछ राशि पुराने बकाये में एडजस्ट हो जाए.
• पूरा रिफंड समायोजित: पूरा रिफंड बकाये में समायोजित हो गया हो.
• रिफंड असफल: बैंक खाता या IFSC में गलती होने पर रिफंड फेल हो जाता है.

रिफंड में देरी के आम कारण

गलत कैलकुलेशन, गलत कटौती दावा या जरूरी जानकारी न देना रिटर्न को समीक्षा के लिए भेज देता है, जिससे रिफंड रुक जाता है. कई बार बैंक खाता प्री-वैलिडेट न होना, PAN से नाम मैच न करना, गलत IFSC कोड देना या बंद खाता जोड़ने से भी रिफंड वापस लौट आता है. ऐसी स्थिति में टैक्सपेयर को डिटेल सुधारकर दोबारा सत्यापन करना पड़ता है.