जिस पर टपा-टप करते हैं टाइपिंग, क्या जानते हैं उस Keyboard का इतिहास?
Keyboard History: कई उपकरणों की तरह, कीबोर्ड के विकास में टाइपराइटर, टेलीप्रिंटर और कीपंच का योगदान रहा है. पहला लिखने वाला डिवाइस 1700 के दशक में बना, और 1714 में हेनरी मिल ने इसका पेटेंट कराया. 1868 में क्रिस्टोफर शोल्स ने पहला कमर्शियल टाइपराइटर और QWERTY लेआउट पेश किया, जो आज भी प्रमुख कीबोर्ड लेआउट है.
Keyboard History: कई डिवाइसेज की तरह, कंप्यूटर को एडवांस कीबोर्ड तक पहुंचने के लिए कई आविष्कार हुए थे, जिनमें टाइपराइटर, टेलीप्रिंटर और कीपंच शामिल हैं. हालांकि, शायद आप नहीं जानते होंगे कि कीबोर्ड का आविष्कार कब हुआ था. बता दें कि सबसे पहले लिखने वाले डिवाइस 1700 के दशक में बनाए गए थे और पहला पेटेंट 1714 में लंदन, इंग्लैंड में हेनरी मिल द्वारा लिया गया था.
टाइपराइटर का आविष्कार: 1700 और 1800 के दशक में, दुनिया भर में कई टाइपिंग और लिखने वाले डिवाइसेज बनाए गए थे. हालांकि, पहला कमर्शियल टाइपराइटर और Type-Writer शब्द 1868 में क्रिस्टोफर शोल्स द्वारा बनाया गया और पेटेंट कराया गया. इस टाइपराइटर ने QWERTY लेआउट को पेश किया, जो आज भी ज्यादातर अमेरिकी कीबोर्ड पर इस्तेमाल होता है.
Shift Key का आविष्कार:
1878 में रेमिंगटन नंबर 2 टाइपराइटर ने कीबोर्ड में पहली बार Shift Key पेश की थी. इस टाइपराइटर में एक Shift Key राइट साइड कीबोर्ड पर थी, जिससे टाइपिंग के दौरान बड़े अक्षर टाइप किए जा सकते थे.
कीबोर्ड से जुड़े कुछ जरूरी इन्वेन्शन:
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हेनरी मिल ने 1714 में इंग्लैंड में पहला कीबोर्ड बनाया था.
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पेलेग्रीनो टुरी या एगोस्टिनो फैंटोनी ने 19वीं सदी की शुरुआत में इतालवी कीबोर्ड बनाया था.
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डगलस एंजेलबार्ट ने कॉर्डेड कीबोर्ड का आविष्कार किया था.
Keyboard की फुल फॉर्म:
K: Keys
E: Electronic
Y: Yet
B: Board
O: Operating
A: A to Z
R: Response
D: Directly
Keyboard क्या है?
कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर में कमांड और डाटा को दर्ज करने के लिए किया जाता है. इसे हिंदी में कुंजीपटल कहा जाता है. कीबोर्ड की मदद से हम टेक्स्ट लिख सकते हैं और कंप्यूटर में अलग-अलग तरह के काम कर सकते हैं. पहले टाइपराइटर का इस्तेमाल होता था, लेकिन उसमें कई गलतियां होती थीं और स्पीड भी कम होती थी, क्योंकि सभी उंगलियां सही जगह पर नहीं पड़ती थीं.
इसके अलावा, टाइपराइटर में गलती होने पर बैकस्पेस की सुविधा भी नहीं थी, जिससे एडिट करना मुश्किल था. फिर, क्रिस्टोफर शोल्स ने इस समस्या को हल करते हुए एक नया कीबोर्ड डिजाइन किया, जिसे QWERTY कीबोर्ड कहा जाता है. इसमें बटन इस तरह से मैनेज किए गए थे जिससे टाइपिंग की स्पीड बढ़ी और गलतियां कम हुईं. बाद में यह काफी लोकप्रिय हो गया.