वृंदावन बांके बिहारी मंदिर में अपशगुन! टूटी 500 साल परंपरा, जानें क्यों भड़के दर्शन करने आए श्रद्धालु??
बिहारी मंदिर में वर्षों बाद पहली बार भगवान को बाल और शयन भोग नहीं चढ़ाया गया. इससे भक्तों की आस्था आहत हुई और गोस्वामी व सेवकों में भारी रोष देखा गया.
वृंदावन: उत्तर प्रदेश में वृंदावन के मशहूर श्री बांके बिहारी मंदिर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां कई सालों में पहली बार भगवान बांके बिहारी को सुबह पारंपरिक बाल भोग और शाम को शयन भोग नहीं चढ़ाया गया. इस घटना से भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है और मंदिर के गोस्वामी और सेवकों में गुस्सा है.
हर दिन, भारत और विदेश से लाखों भक्त दर्शन के लिए बांके बिहारी मंदिर आते हैं. सोमवार को, भक्तों को यह जानकर हैरानी और दुख हुआ कि भगवान को बिना किसी भोग के दर्शन कराए गए. मंदिर की परंपरा के अनुसार, दिन में दो बार विशेष भोजन चढ़ाया जाता है, लेकिन इस पुरानी परंपरा को अचानक रोक दिया गया.
क्या है पूरा मामला?
इस समस्या के पीछे मुख्य कारण मंदिर के हलवाइयों को भुगतान न करना है. क्योंकि उन्हें भुगतान नहीं किया गया था, इसलिए उन्होंने भोग तैयार नहीं किया. इसके साथ ही, हाई पावर कमेटी के आदेश पर एक और बड़ा बदलाव किया गया. पारंपरिक भोग भंडारी, जो सालों से भक्तों से प्रसाद और फूलों की मालाएं इकट्ठा करके मंदिर के अंदर पहुंचाते थे, उन्हें बिना किसी लिखित नोटिस के अपना काम करने से रोक दिया गया.
मंदिर परिसर में मची अफरा-तफरी
इस फैसले से मंदिर परिसर में अफरा-तफरी मच गई. जब भोग भंडारियों ने प्रसाद लेने से इनकार कर दिया, तो गुस्साए भक्तों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. कुछ भक्तों ने तो गुस्से में मालाएं फेंक दीं, जिससे तनाव बढ़ गया. कई सेवक मौके पर पहुंचे और इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए इसे तानाशाही आदेश बताया. स्थिति बिगड़ने के बाद, कमेटी के चेयरमैन को सूचित किया गया,और तभी एक भोग भंडारी को अस्थायी रूप से अनुमति दी गई, ताकि प्रसाद चढ़ाना फिर से शुरू हो सके.
वरिष्ठ गोस्वामी ने क्या कहा?
वरिष्ठ गोस्वामी रजत गोस्वामी ने कहा कि यह व्यवस्था भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है. उन्होंने बिना किसी लिखित आदेश के भोग भंडारियों को हटाने के आधार पर सवाल उठाया. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है और इसे कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा.
धार्मिक भावनाओं पर गहरी ठोस
सेवक मम्मू गोस्वामी ने कहा कि पुरानी भोग व्यवस्था को फिर से शुरू करने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे फैसलों से मंदिर की परंपराओं को नुकसान पहुंचता है और धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचती है. इस घटना ने मंदिर के मैनेजमेंट और सदियों पुरानी परंपराओं के सम्मान को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.