नोएडा: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (यू.पी. रेरा) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रदेश के सात जिलों में स्थित 22 परियोजनाओं को “आस्थगन सूची” (Abeyance) से बाहर कर दिया है. इन परियोजनाओं में कुल 8,856 इकाइयों (फ्लैट, प्लॉट और वाणिज्यिक यूनिट्स) का निर्माण किया जाएगा.
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय आर. भूसेड्डी ने बताया कि रेरा का उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास स्थापित करना है. जिन परियोजनाओं ने अब सभी आवश्यक दस्तावेज़ पूरे कर दिए हैं, उन्हें ‘आस्थगन सूची’ (Abeyance Category) से बाहर निकालना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे न केवल घर खरीदारों को राहत मिलेगी बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी नई ऊर्जा आएगी.
रेरा लागू होने के बाद ऐसी कई परियोजनाएं सामने आईं जिनमें पंजीकरण के दौरान प्रमोटर्स ने आवश्यक दस्तावेज़ जैसे भूमि दस्तावेज़ (Land Documents), स्वीकृत मानचित्र (Map) और निर्माण विवरण (Inventory) रेरा पोर्टल पर अपलोड नहीं किए थे.
रेरा प्राधिकरण द्वारा इन परियोजनाओं की गहन जांच के बाद इनसे संबंधित परियोजनाओं को नोटिस जारी किए गए. संबंधित प्रमोटर्स से यह स्पष्ट किया गया कि प्रारंभिक चरण में तकनीकी कारणों और सामंजस्यता के चलते वे संपूर्ण विवरण उपलब्ध नहीं करा सके.
इसके चलते रेरा ने प्रमोटर्स की सुविधा हेतु पोर्टल पर जानकारी संशोधित (Edit) करने की सुविधा प्रदान की थी. इसके बावजूद कई परियोजनाओं में आवश्यक भूमि और मानचित्र से संबंधित दस्तावेज़ जमा नहीं कराए गए.
इसी परिप्रेक्ष्य में प्राधिकरण की 152वीं बैठक (दिनांक 30 जुलाई 2024) में यह निर्णय लिया गया कि ऐसी लगभग 400 परियोजनाओं, जिनमें दस्तावेज़ों की कमी थी और जिनके प्रमोटर्स को नोटिस दिए जाने के बावजूद आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए, उन्हें “आस्थगन श्रेणी” (Abeyance Category) में रखा जाए.
कुल 350 आस्थगित (Abeyance) परियोजनाओं में से 22 परियोजनाओं को अब बाहर कर दिया गया है. अब इन 8,856 इकाइयों में निर्माण कार्य दोबारा शुरू हो सकेगा, जिससे हजारों घर खरीदारों और वाणिज्यिक निवेशकों को राहत मिलेगी. इसमें करीब 5663 फ्लैट नोएडा में बनने हैं. जिससे फ्लैट बायर्स को काफी राहत मिल सकेगी.
इन परियोजनाओं के “आस्थगन सूची” से बाहर आने से घर खरीदारों, प्रमोटर्स और प्रदेश की अर्थव्यवस्था- तीनों को समान रूप से लाभ होगा. जिन खरीदारों के सपनों के घर लंबे समय से अधर में थे, उनके लिए अब निर्माण कार्य पुनः आरंभ होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. इससे न केवल आवासीय इकाइयों का समय पर पूर्ण होना सुनिश्चित होगा बल्कि लोगों को अपने घर का मालिकाना हक शीघ्र प्राप्त हो सकेगा.
इसके साथ ही, यह निर्णय प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति देगा. निर्माण कार्य दोबारा शुरू होने से श्रमिकों को रोज़गार मिलेगा, भवन निर्माण सामग्री की मांग बढ़ेगी और पूंजी प्रवाह में तेजी आएगी.