Azam Khan Bail: 23 महीने बाद जेल से बाहर आए आजम खान, 72 मुकदमों में मिली राहत
Azam Khan Bail: रामपुर से जुड़ा क्वालिटी बार प्रकरण लंबे समय से विवादों में रहा है. आरोप है कि 2013 में मंत्री रहते हुए आजम खान ने इस जमीन को अवैध रूप से पत्नी तंज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम के नाम करा लिया. 2019 में मालिक गगन अरोड़ा की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई थी.
Azam Khan Bail: उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचाने वाले समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान जेल से बाहर आ चुके हैं. सीतापुर जेल प्रशासन को उनके खिलाफ दर्ज सभी 72 मुकदमों में रिहाई आदेश प्राप्त हो गए हैं. कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह 23 महीने बाद जेल से बाहर आ गए हैं. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक जेल के बाहर मौजूद थे.
दरअसल, हाल ही में एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने आजम खान के खिलाफ दर्ज 19 मामलों में रिहाई परवाने जारी किए. इससे पहले क्वालिटी बार प्रकरण समेत 53 अन्य मामलों में भी रिहाई आदेश मिल चुके थे. अब जब कुल 72 मामलों में परवाने जारी हो गए हैं, तो उनके जेल से बाहर आने की संभावनाएं और मजबूत हो गई हैं.
72 मुकदमों में मिली राहत
आजम खान को डूंगरपुर प्रकरण में 10 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन इस मामले में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है. कोर्ट ने उनकी जमानतियों के सत्यापन का आदेश दिया था, जिसकी रिपोर्ट सोमवार को पुलिस और राजस्व प्रशासन ने कोर्ट में जमा कर दी. इसके बाद लूट, डकैती और धोखाधड़ी से जुड़े 19 मामलों में भी रिहाई परवाने जारी हो गए. अब सभी मामलों में आदेश आने के बाद आज़म खान के जेल से बाहर आने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है.
क्वालिटी बार प्रकरण और विवाद
रामपुर से जुड़ा क्वालिटी बार प्रकरण लंबे समय से विवादों में रहा है. आरोप है कि 2013 में मंत्री रहते हुए आज़म खान ने इस जमीन को अवैध रूप से पत्नी तंज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आज़म के नाम करा लिया. 2019 में मालिक गगन अरोड़ा की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई थी. इसके बाद 2024 में आज़म को मुख्य आरोपी घोषित किया गया और मई 2025 में एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. हालांकि, सितंबर 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली और अब सभी मुकदमों में रिहाई आदेश जारी हो चुके हैं.
सियासत में वापसी की चर्चा
आजम खान की रिहाई न सिर्फ कानूनी मायनों में अहम है बल्कि सियासी तौर पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है. समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी और सक्रिय राजनीति में फिर से कदम रखने की अटकलें तेज हो गई हैं. समर्थकों के बीच खुशी का माहौल है और माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी मौजूदगी सपा के लिए बड़ी ताकत साबित हो सकती है.
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