कौन थे 114 साल के मैराथन धावक फौजा सिंह? उम्र को मात देकर लोगों के लिए बन गए प्रेरणा

'पगड़ीधारी बवंडर' के नाम से मशहूर फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल, 1911 को जालंधर, पंजाब के बेयास गांव में हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध से भी पहले पैदा होने के कारण फौजा ने अपने जीवनकाल में कई ऐतिहासिक पल देखे.

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Gyanendra Sharma

दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फ़ौजा सिंह का निधन हो गया है. 114 वर्षीय फ़ौजा सिंह का सोमवार को एक सड़क दुर्घटना में निधन हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार दोपहर जालंधर-पठानकोट हाईवे पर एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी. उनके सिर में गंभीर चोट आई और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई. उनके निधन से खेल जगत में शोक है. लोग उन्हें जीने की प्रेरणा मानते थे. 

फौजा सिंह कौन थे?

"पगड़ीधारी बवंडर" के नाम से मशहूर, फौजा का जन्म 1 अप्रैल, 1911 को जालंधर, पंजाब के बेयास गांव में हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध से भी पहले पैदा होने के कारण, फौजा ने अपने जीवनकाल में कई ऐतिहासिक पल देखे. सबसे बड़ा और सबसे काला पल 1947 में भारत के विभाजन के दौरान आया जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से उलट-पुलट कर दिया.

90 के दशक में वह अपने एक बेटे के साथ रहने के लिए इंग्लैंड चले गए. 2000 में 89 साल की उम्र में फ़ौजा ने लंदन मैराथन में पदार्पण किया. इसके बाद, टोरंटो, न्यूयॉर्क और अपने आयु वर्ग के अन्य अंतर्राष्ट्रीय मैराथन में भाग लेकर उन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित किया. वह 2004 के एथेंस खेलों और 2012 के लंदन ओलंपिक में मशालवाहक थे और कई साल पहले डेविड बेकहम और मुहम्मद अली जैसे लोगों के साथ एक प्रमुख खेल ब्रांड के विज्ञापन में दिखाई दिए थे.

कई मैराथन में लिया भाग

2012 में मलेशिया ने "101 और दौड़" थीम के साथ दूसरा वार्षिक चारदीकला रन आयोजित किया. यह आयोजन फ़ौजा की अद्भुत उपलब्धियों के लिए एक श्रद्धांजलि थी और समापन समारोह में उन्हें मंच पर ब्रांडलॉरिएट पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2013 में फ़ौजा ने हांगकांग मैराथन में भाग लिया जहां उन्होंने 1 घंटा, 32 मिनट और 28 सेकंड में दौड़ पूरी की. इसके बाद उन्होंने 102 वर्ष की आयु में दौड़ से संन्यास लेने की घोषणा की.