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'जनेऊ उतारो तभी मिलेगी परीक्षा केंद्र में एंट्री', कर्नाटक में हिंदू छात्र को CET एग्जाम देने से रोका, प्रिंसिपल और स्टाफ सब नपे

लोगों के आक्रोश के बाद बीदर जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की. जिला कलेक्टर ने निर्देश जारी किया और कॉलेज की देखरेख करने वाले साई दीपा एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 19 अप्रैल को एक आपातकालीन बैठक की. परिणामस्वरूप प्रिंसिपल और संबंधित स्टाफ सदस्य को निलंबित कर दिया गया.

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Edited By: Reepu Kumari
Karnataka janeu controvercy
Courtesy: AI

साईं स्फूर्ति प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. चंद्रशेखर बिरादर और स्टाफ सदस्य सतीश पवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. एक छात्र ने आरोप लगाया था कि जनेऊ उतारने से इनकार करने पर उसे परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था. यह घटना 17 अप्रैल को कॉलेज में घटी, जो अंडरग्रेजुएट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (यूजीसीईटी) के गणित के पेपर के लिए परीक्षा केंद्र था.

छात्र सुचिव्रत कुलकर्णी ने दावा किया कि परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों ने उन्हें तब तक प्रवेश नहीं दिया जब तक कि उन्होंने जनेऊ को नहीं काटा या हटा नहीं दिया - हिंदू परंपरा में पवित्र माना जाने वाला धागा.

45 मिनट तक मैं उनसे अनुरोध करता रहा

एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, '45 मिनट तक मैं उनसे अनुरोध करता रहा. लेकिन आखिरकार मुझे घर वापस आना पड़ा. मेरी मांग है कि सरकार या तो दोबारा परीक्षा आयोजित करे या मुझे सरकारी कॉलेज में सीट आवंटित करे.'

लोगों के आक्रोश के बाद बीदर जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की. जिला कलेक्टर ने निर्देश जारी किया और कॉलेज की देखरेख करने वाले साई दीपा एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 19 अप्रैल को एक आपातकालीन बैठक की. परिणामस्वरूप प्रिंसिपल और संबंधित स्टाफ सदस्य को निलंबित कर दिया गया.

जनेऊ हटाने पर जोर

सुचिव्रत की मां नीता कुलकर्णी ने अपने बेटे की बात दोहराते हुए कहा कि निरीक्षकों ने उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति देने से पहले जनेऊ हटाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'मेरे बेटे ने कहा कि यह पवित्र धागा है और मैं इसे नहीं काट सकता. उन्होंने उससे कहा कि अगर तुम जनेऊ नहीं हटाओगे तो हम तुम्हें अंदर नहीं आने देंगे... उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई.'

'उन्होंने कर्नाटक सरकार से हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कहा, या तो दोबारा परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए, या फिर उसे किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलाया जाना चाहिए. जिसकी फीस सरकार या कॉलेज वहन करे.'