बेंगलुरु: बेंगलुरु में 400 से ज्यादा घरों को गिराने के बाद अब कर्नाटक सरकार विवादों से घिर गई है. 400 से ज्यादा घरों पर चलाए गए बुलडोजर के बाद सैंकड़ो लोग बेघर हो गए हैं, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं. अब इस पर सियासत तेज हो गई है. इस कार्रवाई के बाद कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार और केरल के वाम मोर्चे के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. वाम मोर्चे ने कांग्रेस पर “बुलडोजर राजनीति” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है.
इस सप्ताह की शुरुआत में बेंगलुरु के कोगिलु गांव स्थित फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट में करीब 200 से अधिक घरों को तोड़ा गया. इस कार्रवाई में लगभग 400 परिवार बेघर हो गए, जिनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं. यह अभियान सुबह करीब 4 बजे कड़ाके की ठंड के बीच चलाया गया.
बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा की गई इस कार्रवाई में चार जेसीबी मशीनों और 150 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
इस बुलडोजर कार्यवाही को लेकर सरकार और वहां रह रहे लोगो के अलग-अलग दावे हैं. जहां एक ओर कर्नाटक सरकार का कहना है कि ये मकान एक झील के पास सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए थे. वहीं, प्रभावित लोगों का आरोप है कि उन्हें पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया और पुलिस ने उन्हें जबरन घरों से बाहर निकाला.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, कई परिवार इस इलाके में 20 से 25 साल से रह रहे थे और उनके पास आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज भी हैं. बता दें इस कार्यवाही में बेघर हुए ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं.
इस बेदखली कार्यवाही के बाद इस पूरे सप्ताह विरोध प्रदर्शन चलते रहे. कुछ लोगों ने राजस्व मंत्री के आवास के बाहर भी प्रदर्शन किया. कई सामाजिक संगठनों और दलित समूहों ने भी इन प्रदर्शनों में हिस्सा लिया.
इस मुद्दे पर सबसे कड़ी प्रतिक्रिया केरल से सामने आई. केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने कांग्रेस सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि डर और सख्ती से चलाया जा रहा शासन संविधान और मानवीय मूल्यों को नुकसान पहुंचाता है.
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने भी इस कार्रवाई को अमानवीय बताया और इसे आपातकाल के दौर की याद दिलाने वाला कदम करार दिया.
सीपीआई(एम) ने बेदखली स्थल पर अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की. पार्टी ने कहा कि लोगों को अपना सामान और दस्तावेज तक उठाने का समय नहीं दिया गया और वर्षों से रह रहे परिवार खुले आसमान के नीचे छोड़ दिए गए.
आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि यह इलाका कचरा डंपिंग की सरकारी जमीन थी, जिस पर अवैध कब्जा किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग इसे झुग्गी बस्ती में बदलना चाहते थे.
शिवकुमार ने यह भी कहा कि प्रभावित लोगों को दूसरी जगह बसाने का विकल्प दिया गया है और सरकार किसी भी तरह के “बुलडोजर राज” का समर्थन नहीं करती. इसके साथ ही उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिना जमीनी हालात समझे बयान नहीं देना चाहिए.