अब तक की सबसे बड़ी 'डिजिटल गिरफ्तारी', 6 महीने कैमरे पर बंधक रही महिला, गंवाए 32 करोड़
बेंगलुरु में 57 वर्षीय महिला को फर्जी CBI अधिकारी और DHL कर्मचारी बनकर ठगों ने छह महीने तक लगातार वीडियो निगरानी में रखा और 187 लेन-देन करवाकर 31.83 करोड़ रुपये ठग लिए. डर और धमकी में महिला पैसा भेजती रही. फरवरी 2025 तक रिफंड का झूठा वादा किया गया. संपर्क बंद होने के बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
बेंगलुरु: कर्नाटक के बेंगलुरु में एक 57 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर महिला के साथ अब तक का सबसे बड़ा ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ कर ठगी करने का मामला सामने आया है. ठगों ने खुद को CBI अधिकारी बताकर महिला को लगातार वीडियो निगरानी में रखा और उसे 6 महीने में 187 बैंक लेन-देन के जरिए करीब 31.83 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने पर मजबूर कर दिया. यह घोटाला सितंबर 2024 में शुरू हुआ था, जबकि मामला अब जाकर दर्ज किया गया है.
कैसे शुरू हुआ घोटाला?
महिला को पहले DHL के एक अधिकारी बताकर कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उसके नाम से मुंबई के अंधेरी स्थित सेंटर पर एक संदिग्ध पार्सल मिला है. उस पार्सल में पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और प्रतिबंधित ड्रग एमडीएमए होने का दावा किया गया.
महिला के इंकार करने पर कॉल को एक कथित CBI अधिकारी को ट्रांसफर किया गया. उसने बताया कि सारे सबूत तुम्हारे खिलाफ हैं और मामला साइबर अपराध का हो सकता है. जब महिला ने पुलिस से संपर्क की बात कही, तो ठगों ने कहा कि अपराधी उसके घर के बाहर निगरानी कर रहे हैं और उसके फोन को ट्रैक किया जा रहा है. अपने परिवार, खासकर बेटे की शादी के डर से महिला घबरा गई और उनके निर्देश मानने लगी.
लगातार वीडियो कॉल, दो Skype ID और गुप्त जांच
ठगों ने महिला को दो Skype ID बनाने और हमेशा कैमरे पर रहने को कहा. तीन अलग-अलग लोगों मोहित हांडा, राहुल यादव और प्रदीप सिंह ने CBI अधिकारी बनकर लगातार उसकी निगरानी की. प्रदीप सिंह ने खुद को वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए कहा कि बेगुनाही साबित करने के लिए उसे पैसे जमा करने होंगे, जो बाद में वापस कर दिए जाएंगे.
32 करोड़ की ठगी ऐसे हुई
24 सितंबर से लेकर 22 अक्टूबर 2024 के बीच महिला से उसकी बैंक जानकारी ली गई. फिर उसे यह कहकर करोड़ों रुपये ट्रांसफर करवाए गए कि यह जमानत राशि और टैक्स हैं. 24 अक्टूबर से 3 नवंबर तक सिर्फ जमानत के नाम पर ही 2 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवाए गए. धीरे-धीरे महिला ने अपनी सारी बचत, फिक्स्ड डिपॉजिट तक तोड़कर 6 महीने में 187 लेन-देन में कुल 31.83 करोड़ रुपये भेज दिए. ठगों ने उसे फरवरी 2025 तक पैसे लौटाने का वादा किया और एक नकली क्लियरेंस लेटर भी भेजा.
मानसिक तनाव और बाद में खुलासा
लगातार निगरानी और दबाव से महिला मानसिक रूप से टूट गई. उसे एक महीने तक इलाज कराना पड़ा. फरवरी के बाद ठगों ने संपर्क बंद कर दिया, तब जाकर उसे धोखाधड़ी का पूरा अंदाजा हुआ. महिला ने बेटे की शादी के बाद जून 2025 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
पुलिस की जांच शुरू
महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि 187 ट्रांजैक्शन में मैंने 31.83 करोड़ रुपये गंवा दिए. कृपया मामले की गहराई से जांच की जाए. पुलिस ने इसे एक बड़े और संगठित साइबर रैकेट का हिस्सा बताया है और कहा कि जांच जारी है.