दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ा, हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज के सभी 18 गेट खोले गए, वीडियो में देखें यमुना नदी का रौद्र रूप

हिमाचल और हरियाणा में भारी बारिश दिल्ली के लिए भी बड़ा खतरा बन गई है. हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने के बाद दिल्ली में 19 अगस्त की रात को यमुना नदी का जलस्तर 206 मीटर के पार जा सकता है, जो यहां खतरे का अधिकतम स्तर है.

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Hemraj Singh Chauhan

दिल्ली में यमुना नदी का स्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. इसकी बड़ी वजह रविवार को हरियाणा के  यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ना है. बैराज में यमुना नदी के पानी के स्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया था. इसके बाद बैराज के सभी 18 गेट खोल दिए गए. इससे दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. रविवार को सरकार ने इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी की है.

साल 2023 में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार गया था और कई रिहायशी इलाकों में पहुंच गया था. दो साल पहले लाल किले के पास तक पानी भर गया था. हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया यमुना का पानी मंगलवार रात तक दि्ल्ली पहुंच सकता है.

दिल्ली में बाढ़ का खतरा

हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने के बाद दिल्ली में यमुना नदी का स्तर खतरे को निशान को पार कर सकता है. इससे दिल्ली के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी बारिश जमकर हो रही है. हथिनीकुंड बैराज से 1.16 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है

हिमाचल में भी भारी बारिश

हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है. इस वजह से हरियाणा में सोम नदी का भी जलस्तर बढ़ गया. हिमाचल के अलावा हरियाणा के कई जिलों में भारी बारिश हुई है. इसमें अंबाला, पंचकुला और कुरुक्षेत्र प्रमुख हैं. हिमाचल और हरियाणा का पानी दिल्ली के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है. दिल्ली में 19 अगस्त की रात को यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार जा सकता है. दिल्ली के ओल्ड रेलवे ब्रिज की बात करें तो यहां जब यमुना नदी का का जलस्तर 205.30 मीटर तक पहुंचता है तो इसे खतरे का निशान माना जाता है.

साल 2023 में आई थी भयंकर बाढ़

दिल्ली में दो साल पहले मानसून सीजन में भयंकर बाढ़ आई थी. 11 जुलाई 2023 को कई साल यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर चला गया था. उस समय राजधानी में यमुना 208.66 के जलस्तर को पार कर गई थी. दिल्ली में कई साल बाद ऐसी भयकंर बाढ़ देखी थी, जिसने निचले इलाकों के साथ ही सिविल लाइंस, पुरानी दिल्ली के रिहायशी इलाकों को अपनी चपेट में लिया था.