'वह मर जाएगा सर.....', पुलिस वालों ने सुनी मां की चीख और बेटे को 'यमराज' से बचाया, पूरा मामला जानकर हो जाएंगे हैरान

पटेल नगर में नियमित पेट्रोलिंग के दौरान दो बीट पुलिसकर्मियों ने सूझबूझ और तेजी दिखाते हुए आत्महत्या की कोशिश कर रहे 26 वर्षीय युवक की जान बचाई. समय पर कार्रवाई ने एक परिवार को टूटने से बचा लिया.

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Kanhaiya Kumar Jha

नई दिल्ली: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पटेल नगर में जो कुछ हुआ, वह पुलिस की सतर्कता और मानवीय संवेदनशीलता का उदाहरण बन गया. आम तौर पर शांत रहने वाले इस पॉश इलाके में दो बीट अधिकारियों की रूटीन पेट्रोलिंग अचानक एक आपात स्थिति में बदल गई. एक महिला की घबराई हुई चीखों ने न सिर्फ गलियों की शांति तोड़ी, बल्कि दो पुलिसकर्मियों को ऐसी दौड़ में डाल दिया, जिसका अंत एक युवा की जिंदगी बचने के साथ हुआ.

दरअसल, रविवार की शाम करीब सात बजे हेड कांस्टेबल योगेश और कांस्टेबल अजय पटेल नगर इलाके में नियमित पेट्रोलिंग कर रहे थे. यह उनके लिए एक सामान्य ड्यूटी थी. तभी अचानक उन्हें किसी महिला के चीखने की आवाज सुनाई दी. पहले यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि आवाज कहां से आ रही है. दोनों पुलिसकर्मी बिना समय गंवाए आवाज की दिशा में तेजी से बढ़े.

घबराई मां की चीख और सच्चाई

गलियों से गुजरते हुए पुलिसकर्मी एक पांच मंजिला मकान के सामने पहुंचे. वहां मुख्य दरवाजे पर एक महिला बदहवास हालत में खड़ी थी. वह कुछ भी कह पाने की स्थिति में भी नहीं थी. किसी तरह उसने बताया कि उसका 26 साल का बेटा कमरे में बंद है और आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा है. यह सुनते ही दोनों अधिकारियों ने स्थिति की गंभीरता समझ ली.

सीढ़ियों पर दौड़ और बंद दरवाजा

हेड कांस्टेबल योगेश और कांस्टेबल अजय तीन मंजिल ऊपर की ओर दौड़े. घर में तीन कमरे थे और महिला की घबराहट के कारण सही कमरे तक पहुंचने में दिक्कत हुई. कुछ क्षणों की खोजबीन के बाद एक कमरा अंदर से बंद मिला. बिना देर किए दोनों ने दरवाजा तोड़ने का फैसला किया और पूरी ताकत से धक्का देकर उसे खोल दिया.

कुछ सेकंड का फर्क

कमरे के अंदर का दृश्य बेहद डरावना था. युवक छत के पंखे से बेडशीट के सहारे लटका हुआ था. वह बेहोश हो चुका था और उसकी हालत नाजुक थी. कांस्टेबल अजय ने तुरंत युवक के पैरों को ऊपर उठाकर गर्दन पर पड़ रहे दबाव को कम किया. उसी समय हेड कांस्टेबल योगेश रसोई की ओर भागे और एक चाकू लेकर बेडशीट काटनी शुरू कर दी.

समय पर कदम, बच गई जान

बेडशीट कटते ही युवक को नीचे लिटाया गया. कुछ ही देर में उसकी सांसें चलने लगीं. पुलिसकर्मियों ने परिवार की मदद से उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया. डॉक्टरों के अनुसार यदि कुछ सेकंड की भी देरी होती, तो जान बचना मुश्किल था. इस त्वरित और साहसिक कार्रवाई से एक मां ने अपने बेटे को खोने से बचा लिया.