दिल्ली में नहीं बिके DDA के 34,000 फ्लैट खाली, जानें क्यों नरेला बना ‘भूतिया हाउसिंग जोन’
दिल्ली में आवास की भारी मांग होने के बावजूद DDA के 34 हजार से अधिक फ्लैट अभी भी बिना बिके पड़े हैं. नरेला में सबसे ज्यादा खाली यूनिट्स हैं. कई स्कीमों और छूटों के बाद भी खरीदार नहीं मिल रहे.
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में घरों की तलाश करने वाले लाखों लोगों के बीच अब यह सवाल उठ रहा है कि इतनी बड़ी मांग के बावजूद दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के फ्लैट आखिर क्यों नहीं बिक रहे.
संसद में पेश आंकड़े चौंकाने वाले हैं- शहर में 34 हजार से अधिक तैयार फ्लैट खरीदारों के इंतजार में खाली पड़े हैं. खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर नरेला क्षेत्र में हैं, जहां कनेक्टिविटी और बुनियादी सुविधाओं की कमी लंबे समय से चिंता का विषय रही है.
नरेला में सबसे ज्यादा खाली फ्लैट
सरकारी जवाब के अनुसार, DDA के पास इस समय 34,052 अनसोल्ड फ्लैट हैं, जिनमें से अकेले नरेला में 31,487 यूनिट्स मौजूद हैं. नरेला में कुल 62,801 फ्लैट बनाए गए थे, पर अब तक सिर्फ 31,314 ही आवंटित हो सके. यानी कुल निर्माण का आधे से ज्यादा हिस्सा अभी भी खाली पड़ा है. यह आंकड़ा बताता है कि खरीदारों की रुचि उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पाई.
लॉन्च के बावजूद खरीदार क्यों नहीं आए?
DDA ने बीते वर्षों में कई बार छूट वाले ऑफर लॉन्च किए, नई स्कीमें निकालीं और इलाके में कनेक्टिविटी सुधारने की कोशिश भी की. बावजूद इसके लोगों की दिलचस्पी सीमित रही. विशेषज्ञों का कहना है कि नरेला जैसे इलाकों में रिपोर्टेड निर्माण गुणवत्ता, सुविधाओं की कमी और सार्वजनिक परिवहन की अनुपलब्धता बड़ी वजहें हैं. कई खरीदार इसे अपने रोज़मर्रा के जीवन के लिए ‘असुविधाजनक लोकेशन’ मानते हैं.
बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी बड़ी चुनौती
नरेला में खाली पड़े हजारों फ्लैटों का एक मुख्य कारण है इलाके का धीमा विकास. आसपास स्कूल, अस्पताल, मार्केट, सार्वजनिक परिवहन और रोजगार अवसरों की कमी लोगों को तय करने से रोक देती है. कई फ्लैटों की शिकायतों में यह भी सामने आया कि निर्माण गुणवत्ता से खरीदार संतुष्ट नहीं हैं. यही वजह है कि छूट मिलने के बावजूद लोग यहां फ्लैट खरीदने से हिचकते हैं.
DDA की नई योजनाओं पर उम्मीदें
अनसोल्ड इन्वेंट्री कम करने और खरीदारों को आकर्षित करने के लिए DDA ने 2025-26 में दो बड़े प्रोजेक्ट लॉन्च करने की तैयारी कर ली है. पहला प्रोजेक्ट कड़कड़डूमा टॉवरिंग हाइट्स है, जो दिल्ली का पहला ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट मॉडल होगा. इसमें 1,026 MIG और 498 छोटे 1-RK फ्लैट शामिल हैं. दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट ‘कर्मयोगी आवास योजना 2025’ है, जिसके तहत नरेला में 3,656 नए फ्लैट पेश किए जाएंगे.
नए प्रोजेक्ट्स से बढ़ेगा भरोसा?
DDA का मानना है कि आधुनिक लोकेशन, बेहतर कनेक्टिविटी और उन्नत सुविधाओं वाले ये नए प्रोजेक्ट खरीदारों का भरोसा बढ़ा सकते हैं. नरेला पॉकेट-11 में भी 3,666 अतिरिक्त यूनिट्स लॉन्च की जाएंगी, जिनमें HIG, MIG और EWS के फ्लैट शामिल होंगे. प्राधिकरण उम्मीद कर रहा है कि इन नए विकल्पों के जरिये पुरानी अनसोल्ड इन्वेंट्री धीरे-धीरे कम होगी और लोग DDA के घरों पर फिर से भरोसा जताएंगे.
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