दो दशक से बिहार के सीएम रहे नीतीश कुमार को सात दिन में छोड़ना पड़ा था मुख्यमंत्री पद, जानें लालू ने कैसे किया था खेल?
नीतीश कुमार 25 साल बाद बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में दसवीं बार शपथ लेने जा रहे हैं. पहले केवल एक सप्ताह तक मुख्यमंत्री रहे थे, अब मजबूत गठबंधन और विकास एजेंडा उनके साथ है.
पटना: बिहार की राजनीति में आज का दिन इतिहास में लिखा जाएगा. 75 वर्षीय नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जार हे हैं. यह समारोह पटना के गांधी मैदान में सुबह 11.30 बजे आयोजित किया जाएगा.
NDA ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की है. पहले केवल सात-आठ दिन मुख्यमंत्री रहे नीतीश अब मजबूत गठबंधन और अनुभव के साथ राज्य की बागडोर संभालने जा रहे हैं.
नीतीश कुमार के पहले कार्यकाल पर एक नजर
नीतीश कुमार की पहली मुख्यमंत्री के रूप में सियासी कहानी 2000 में शुरू हुई. उस समय 324 सदस्यीय बिहार विधानसभा में चुनावी परिणाम टाई की स्थिति लेकर आए. RJD 124 सीटों के साथ सबसे आगे थी, जबकि NDA 122 सीटों के साथ पीछे थी. इसके बावजूद, राज्यपाल विनोद चंद्र पांडे ने नीतीश कुमार को सरकार बनाने का न्योता दिया. NDA के 151 विधायक उनके समर्थन में खड़े हुए, लेकिन RJD और NDA के बीच सप्ताहभर चली सियासी जंग ने उनकी पहली सरकार को केवल आठ दिन में गिरा दिया.
रिकॉर्ड 10वें कार्यकाल के लिए छोटा कार्यकाल
उस छोटे कार्यकाल के बाद अब नीतीश कुमार की वापसी 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने के रूप में हो रही है. आज का समारोह एक प्रतीकात्मक पूर्ण चक्र है. पहले सप्ताह भर की सरकार में उनका संघर्ष और अब NDA की स्पष्ट बहुमत वाली जीत में उनका अनुभव, उन्हें सशक्त और विकास-उन्मुख नेतृत्व का अवसर दे रहा है. बिहार की जनता और राजनीतिक पार्टनर दोनों इस बार उन्हें मजबूत स्थिति में देख रहे हैं.
नए कार्यकाल की तैयारी
नीतीश कुमार ने अपने आगामी कार्यकाल को 2006 से शुरू हुए विकास-केंद्रित शासन मॉडल की निरंतरता के रूप में प्रस्तुत किया है. उन्होंने कहा है कि इस बार केंद्र का सहयोग मिलने से योजनाओं को और तेजी मिलेगी. घरेलू सहयोगी दलों के साथ, उनका ध्यान शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास पर केंद्रित रहेगा. मुख्यमंत्री ने जनता से अपेक्षा जताई है कि वे उनके विकास एजेंडे का समर्थन करें.
25 साल से ज्यादा का राजनीतिक सफर
नीतीश कुमार की राजनीति 25 सालों की लंबी यात्रा रही है. पहले केवल एक सप्ताह तक मुख्यमंत्री रहे, फिर कई बार सत्ता में आए और गए. उनके कार्यकाल ने बिहार के शिक्षा, सड़क, और सामाजिक क्षेत्रों में कई परिवर्तन किए हैं. इस अनुभव ने उन्हें स्थिर और दूरदर्शी नेता के रूप में स्थापित किया है. उनकी वापसी NDA के मजबूत गठबंधन के साथ राज्य की राजनीति में नई ऊर्जा लेकर आई है.
क्या हैं इस बार नीतीश कुमार की चुनौतियां
हालांकि दसवीं बार सत्ता में आने के बाद उनके सामने बड़ी जिम्मेदारियां हैं. बिहार की अपेक्षाएं बहुत ऊंची हैं. पिछली गलतियों से सीखते हुए, नीतीश कुमार इस बार विकास और सुशासन पर विशेष ध्यान देंगे. नागरिकों और राजनीतिक पार्टनरों की निगाहें अब उनके हर कदम पर होंगी, जिससे उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता का परीक्षण होगा.