'दोनों टीम में भी नहीं होते...', सुनील गावस्कर ने रोहित शर्मा और विराट कोहली की वनडे टीम में वापसी पर दिया चौंकाने वाला बयान
Rohit Sharma-Virat Kohli: ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए रोहित शर्मा और विराट कोहली की वनडे टीम में वापसी हुई है. ऐसे में भारत के पूर्व महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने बड़ा बयान दिया है.
Rohit Sharma-Virat Kohli: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने रोहित शर्मा और विराट कोहली की वनडे टीम में वापसी को लेकर एक हैरान करने वाला बयान दिया है. उनका मानना है कि दोनों दिग्गज खिलाड़ियों ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए खुद को उपलब्ध कराया है लेकिन अगर यह सीरीज किसी कमजोर टीम जैसे वेस्टइंडीज या जिम्बाब्वे के खिलाफ होती, तो शायद वे नहीं खेलते.
भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन वनडे और पांच टी20 मैचों की सीरीज खेलनी है, जो 19 अक्टूबर से शुरू होगी. यह सीरीज 2027 में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले वनडे विश्व कप की तैयारियों का हिस्सा है. बीसीसीआई की चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर ने शनिवार को रोहित और कोहली को इस सीरीज के लिए चुना, जो इस साल यूएई में हुए चैंपियंस ट्रॉफी के बाद उनकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी का प्रतीक है.
सुनील गावस्कर ने रोहित शर्मा और विराट कोहली पर दिया बयान
गावस्कर का कहना है कि रोहित और कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि 2023 के विश्व कप फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि अगर यह सीरीज जिम्बाब्वे या वेस्टइंडीज के खिलाफ होती, तो दोनों खिलाड़ी उपलब्ध नहीं होते. लेकिन चूंकि यह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ है और भारत 2023 के विश्व कप फाइनल में उनसे हारा था, शायद यही वजह है कि दोनों ने इस सीरीज के लिए हामी भरी.”
विश्व कप की राह नहीं आसान
इंडिया टुडे से बात करते हुए गावस्कर ने यह भी बताया कि रोहित और कोहली के लिए 2027 विश्व कप की टीम में जगह बनाना आसान नहीं होगा. इसके लिए उन्हें नियमित रूप से वनडे क्रिकेट खेलना होगा. उन्होंने कहा, “यह इस बात पर निर्भर करता है कि अगले कुछ सालों में भारत कितने वनडे मैच खेलता है. एक सीजन में सिर्फ सात या आठ वनडे मैच खेलना विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट की तैयारी के लिए काफी नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा कि "एक सीजन में आमतौर पर पांच टी20 और तीन वनडे मैच होते हैं, जो अनुभवी खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त अभ्यास का मौका नहीं देते, खासकर तब जब वे अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हों."