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भारत को क्यों कहा गया कैंसर की राजधानी? सदमे में डाल देगी रिपोर्ट!

India Cancer Capital: भारत में कैंसर के बढ़ते मामले चिंतित करने वाले हैं. हाल ही में अपोलो हॉस्पिटल द्वारा जारी रिपोर्ट में तो इंडिया को कैंसर कैपिटल ऑफ दि वर्ल्ड कहा गया है.

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Gyanendra Tiwari

India Cancer Capital: कैंसर. बहुत खतरनाक बीमारी. इसने भारत के होश उड़ा दिए हैं. हाल ही में भारत के स्वास्थ्य को लेकर हुए एक अध्ययन ने इंडिया को टेंशन में डाल दिया है. भारत में गैर संचारी रोग (Non Communicable Diseases) अपने चरम पर हैं. पूरे देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अपोलो हॉस्पिटल द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में भारत को कैंसर कैपिटल ऑफ दि वर्ल्ड कहा गया है.

भारत में गैर संचारी रोगों की बढ़ती संख्या हम सबके लिए चिंता का विषय. आंकड़े छूट नहीं बोलते. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर तीसरा व्यक्ति प्री डायबिटीज से ग्रस्त है. दो तिहाई भारतीय हाइपर टेंशन से जूझ रहे हैं.10 में से एक भारतीय डिप्रेशन से जूझ रहा है.

युवाओं के इलाज में तेजी

कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और मानसिक बीमारी जैसी खतरनाक बीमारियां गंभीर स्तर तक पहुँच रही हैं और ये देश के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रही हैं.

सबसे ज्यादा चिंता कैंसर के तेजी से बढ़ते मामले हैं, जो वैश्विक स्तर पर रॉकेट की तरह बढ़ रहे हैं. इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में प्री डायबिटिक, प्री हाइपरटेंशन, और मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रहे यूथ का तेजी के साथ इलाज भी किया जा रहा है, उन्हें इन गंभीर बीमारियों से निदान दिलाया जा रहा है.

कैंसर से निपटने के लिए मल्टी अप्रोच की जरूरत

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (NCDIR) के अनुसार भारत में साल दर साल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यशोदा हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक, वरिष्ठ सलाहकार मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमाटो-ऑन्कोलॉजिस्ट के डॉ. निखिल घडियाल पाटिल का कहना है कि तेजी से बढ़ती कैंसर जैसी चुनौती से निपटने के लिए मल्टी अप्रोच की जरूरत हैं, जिसमें सरकारी एजेंसियां, हेल्थ केयर प्रोवाइडर, एनजीओ, रिसर्चर और उनके समुदायों का शामिल होना जरूरी है.

जीवन शैली, पर्यावरण और सामाजिक आर्थिक चुनौतियों के चलते भारत में कैंसर जैसी बीमारी के बढने का कारण है. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के क्लिनिकल डायरेक्टर सीनियर डॉ. चिन्नाबाबू सनकवल्ली के अनुसार तंबाकू का सेवन और सिगरेट पीने से मुंह और गले में होने वाले कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. वहीं, गाड़ियों और इंडस्ट्री से निकलने वाला वायु प्रदूषण से कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा होता है.

डरावने वाले हैं कैंसर के आंकड़े

कैंसर के आंकड़ों की बात करें तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक 2022 से 2024 के बीच भारत में कैंसर के मामले बढ़े है. 2022 में भारत में कुल 14,16,427 मरीज थे, जो 2023 में बढ़कर 14,96,972 हो गई और 2024 में यह संख्या अब तक 15,33,055 पहुंच गई है.

दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहें. ब्रेस्ट कैंसर के मामले में भारत नंबर वन पर है. 2022 में दुनिया भर ब्रेस्ट कैंसर के 665, 255 मामले आए थे. इनमें से 98,337 मामले भारत से थे.

जागरुकता का अभाव

कैंसर के लक्षणों के प्रति जागरुकता का अभाव होना और बड़े स्तर पर इसकी स्क्रीनिंग के जरिए इसके बारे में प्रचार न होने से शुरुआती दौर में कैंसर का पता नहीं चल पाता. अंतिम स्टेज में कैंसर के होने का पता चलने पर व्यक्ति के सफल इलाज होने की संभावना कम होती है.

ग्रामीण भारत में हेल्थ केयर फेसिलिटी बहुत लिमिटेड होती है, जिसके चलते वहां, कैंसर होने का पता लोगों को लेट से मालूम होता है.

आर्थिक असमानता भी है कारण

सामाजिक आर्थिक असमानताएं भी कैंसर के बढ़ने का मुख्य कारण हैं. इस असमानता के चलते गरीब लोगों तक गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं पहुंच सकता. अपर्याप्त जागरूकता और आर्थिक समस्या के चलते वो कैंसर का इलाज कराने और निदान पाने में देरी की भूमिका निभाते हैं.

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