आखिर कैसे मनाना चाहिए न्यू ईयर? प्रेमानंद महाराज ने बताया सही तरीका
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने अपने एक प्रवचन में बताया था कि नया साल वास्तव में कैसे मनाना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए?
नए साल का मौका आते ही लोग तरह-तरह की योजनाएं बनाते हैं. कोई परिवार और दोस्तों के साथ पार्टी करता है, तो कोई घूमने-फिरने निकल जाता है. वहीं, कई लोग मंदिर जाकर भगवान से नए साल के लिए आशीर्वाद भी लेते हैं. लेकिन, वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने अपने एक प्रवचन में बताया था कि नया साल वास्तव में कैसे मनाना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए?
कैसे मनाया जाए नया साल
प्रेमानंद महाराज इससे पहले यह भी बता चुके हैं कि जन्मदिन कैसे मनाया जाए ताकि जीवन में सकारात्मकता आए और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो. उसी कड़ी में उन्होंने नया साल सही तरीके से मनाने को लेकर भी अपनी राय साझा की थी. प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, आजकल ज्यादातर लोग नए साल का जश्न गलत तरीकों से मनाते हैं. कई लोग शराब पीते हैं, मांस खाते हैं या अनैतिक गतिविधियों में शामिल होकर नए साल का जश्न मनाते हैं, जो सनातन धर्म की मान्यताओं के बिल्कुल विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि नए साल जैसे पवित्र अवसर पर इन चीजों से दूरी बनाना ही उचित है.
सकारात्मक वातावरण बनाया जाए
उनके अनुसार, नए साल का जश्न मनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि रात भर कीर्तन किया जाए, भगवान का भजन-कीर्तन गाया जाए और सकारात्मक वातावरण बनाया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि रात भगवान की भक्ति में बीत जाए, तो साल की शुरुआत पवित्रता और शुभता से होती है.
गाय को हरा चारा देना चाहिए
सुबह होते ही इंसान को सबसे पहले पक्षियों और पशुओं को दाना-पानी देना चाहिए. गाय को हरा चारा देना और भूखे व्यक्ति को भोजन कराना बहुत पुण्य का काम माना गया है. महाराज के अनुसार, सेवा और दया का भाव नए साल की शुरुआत को और भी शुभ बनाता है.
जरूरतमंद लोगों की मदद करना जरूरी
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि दिसंबर और जनवरी के महीने बहुत ठंडे होते हैं. इसलिए नए साल के मौके पर गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना बेहद जरूरी है. किसी को कंबल, गर्म कपड़े या शॉल देना बहुत बड़ा सत्कार्य माना गया है. उन्होंने यह भी कहा कि नए साल का उत्सव भगवान के स्मरण के बिना अधूरा है. इसलिए जहां तक हो सके भजन करें, गाएं-बजाएं और भगवान के गुणगान में दूसरों को भी शामिल करें. ऐसा उत्सव न सिर्फ मन को शांति देता है, बल्कि पूरे साल को मंगलमय बना देता है. प्रेमानंद महाराज के अनुसार, यदि नया साल सेवा, भक्ति और सद्कर्म के साथ मनाया जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है और घर में खुशहाली आने लगती है.