menu-icon
India Daily

बिना जन्में बच्चों पर कोविड 19 का प्रकोप! नई पीढ़ी रहेगी ज्यादा बीमार, जानें कैसे मर्दानगी पर पड़ा ये खतरनार असर

COVID-19 Side Effects: COVID-19 पुरुषों के स्पर्म  में परमेंनट चेंज ला सकता है, जिसका असर उनके होने वाले बच्चे के मेंटल ग्रोथ पर पड़ सकता है. वायरस मानव जीवन को कितनी गहराई से प्रभावित कर सकता है, पीढ़ियों तक.

auth-image
Edited By: Princy Sharma
COVID-19 Affects Sperm
Courtesy: Pinterest

COVID-19 Affects Sperm: जब दुनिया जानलेवा COVID-19 महामारी से जूझ रही थी, तब सबका ध्यान इंफेक्शन को रोकने, वैक्सीन बनाने और ट्रीटमेंट खोजने पर था. लेकिन अब, सालों बाद वैज्ञानिकों ने कुछ वाकई चौंकाने वाला पाया है. एक नए स्टडी से पता चलता है कि COVID-19 न केवल इंफेक्टेड होने वालों को प्रभावित कर सकता है बल्कि यह उनके होने वाले बच्चों के मेंटल हेल्थ और व्यवहार को भी प्रभावित कर सकता है, भले ही इंफेक्शन प्रेगनेंसी से पहले हुआ हो. 

ऑस्ट्रेलिया के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ के रिसर्चर ने पाया कि COVID-19 पुरुषों के स्पर्म  में परमेंनट चेंज ला सकता है, जिसका असर उनके होने वाले बच्चे के मेंटल ग्रोथ पर पड़ सकता है. वैज्ञानिक पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस में पब्लिश यह स्टडी इस बात पर एक बिल्कुल नया नजरिया देता है कि यह वायरस मानव जीवन को कितनी गहराई से प्रभावित कर सकता है, पीढ़ियों तक.

स्टडी में क्या पाया गया?

वैज्ञानिकों ने नर (male) चूहों पर एक प्रयोग किया. उनमें से कुछ SARS-CoV-2 वायरस (वह वायरस जो COVID-19 का कारण बनता है) से इंफेक्टेड थे. पूरी तरह से ठीक होने के बाद, इन नर चूहों को स्वस्थ मादा (female) चूहों के साथ संभोग करने दिया गया. शोधकर्ताओं ने एक असामान्य बात देखी इन पूर्व संक्रमित पिताओं से पैदा हुए शिशुओं में उन चूहों की तुलना में अधिक चिंता और तनाव का व्यवहार दिखा जिनके पिता कभी संक्रमित नहीं हुए थे. 

दिलचस्प बात यह है कि मादा चूहों पर इसका ज्यादा असर पड़ा. स्टडी में उनके मस्तिष्क में तनाव से जुड़े जीनों में खासकर हिप्पोकैम्पस में जबरदस्त बदलाव पाए गए, जो मस्तिष्क का एक ऐसा क्षेत्र है जो भावनाओं, याददाश्त और मनोदशा को नियंत्रित करता है.

यह कैसे संभव है?

शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 संक्रमण के बाद, स्पर्म में मौजूद आरएनए molecule खासकर नॉन-कोडिंग आरएनए—बदल जाते हैं. ये आरएनए सीधे प्रोटीन नहीं बनाते, बल्कि यह नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं कि कौन से जीन चालू या बंद हों. ये जेनेटक स्विच शरीर और मस्तिष्क के विकास और कार्यप्रणाली को नियंत्रित करते हैं.

इसलिए, जब संक्रमण के कारण शुक्राणु आरएनए बदलता है, तो यह अगली पीढ़ी को बदले हुए निर्देश दे सकता है. एक ऐसी प्रक्रिया जिसे वैज्ञानिक एपिजेनेटिक परिवर्तन कहते हैं. सरल शब्दों में, COVID-19 शुक्राणुओं में अदृश्य निशान छोड़ सकता है जो भविष्य में होने वाले बच्चे के मस्तिष्क और व्यवहार के विकास को प्रभावित कर सकते हैं.

मनुष्यों के लिए इसका क्या अर्थ है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगला कदम यह जांचना है कि क्या यही प्रभाव मनुष्यों पर भी पड़ता है. वे COVID-19 से ठीक हुए पुरुषों के शुक्राणुओं के नमूनों का अध्ययन करने और यह देखने की योजना बना रहे हैं कि क्या उनके बच्चों में कोई मानसिक या व्यवहारिक अंतर दिखाई देता है.

अगर मनुष्यों में यह संबंध सिद्ध हो जाता है, तो इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं. दुनिया भर में लाखों पुरुष COVID-19 से संक्रमित हुए हैं, जिसका अर्थ है कि इस वायरस का एक छिपा हुआ पीढ़ीगत प्रभाव हो सकता है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी.

यह अभूतपूर्व शोध दर्शाता है कि COVID-19 केवल एक श्वसन रोग नहीं है - यह एक बहु-पीढ़ीगत स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, जो आने वाले वर्षों में मानव प्रजनन और मानसिक स्वास्थ्य को चुपचाप प्रभावित कर सकती है.