नई दिल्ली: इजरायल ने दस साल की लंबी खोज और कई असफल प्रयासों के बाद आखिरकार हिजबुल्ला के खतरनाक और मोस्ट वॉन्टेड कमांडर हैथम अली तबातबाई को बेरूत में एक एयरस्ट्राइक में मार गिराया. यह हमला लेबनान की राजधानी बेरूत के केंद्र में किया गया, जहां तबातबाई हिजबुल्ला के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रहा था.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस के अनुसार, यह ऑपरेशन बेहद सटीक और रणनीतिक था. तबातबाई को हिजबुल्ला के महासचिव नईम कासिम के बाद संगठन का दूसरा सबसे ताकतवर नेता माना जाता था. इजरायल की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि इजरायल पिछले दस वर्षों से तबातबाई को खत्म करने की योजना बना रहा था.
तबातबाई का जन्म 1968 में बेरूत में हुआ था और उसका बचपन दक्षिण लेबनान में बीता था. उसके पिता ईरानी थे जबकि मां लेबनानी थीं. बहुत कम उम्र में वह हिजबुल्ला से जुड़ गया और धीरे-धीरे संगठन की सबसे खतरनाक सैन्य शाखाओं में शीर्ष पर पहुंच गया. अमेरिका ने उसे 2016 में मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट घोषित किया और 2018 में उसकी जानकारी पर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा गया.
तबातबाई हिजबुल्ला की राडवान फोर्स का प्रमुख था, जिसका उद्देश्य इजरायल के खिलाफ हमलों की योजना बनाना और उन पर अमल करना था. सालों की कार्रवाई के बाद जब इजरायल रक्षा बलों ने हिजबुल्ला की सीनियर लीडरशिप को काफी हद तक कमजोर कर दिया, तब तबातबाई का प्रभाव और बढ़ गया. उसे गोलान हाइट्स के पास हिजबुल्ला का सैन्य ढांचा खड़ा करने का भी जिम्मेदार माना जाता था.
इस हमले में लेबनान स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कुल पांच लोगों की मौत हुई और कम से कम 25 लोग घायल हुए. धमाके से एक रेजीडेंशियल बिल्डिंग में बड़ा छेद बन गया और मलबा चारों तरफ फैल गया. हिजबुल्ला सांसद अली अम्मार ने दावा किया कि हमला पूरी तरह नागरिक इलाके में हुआ और वहां किसी भी तरह की सैन्य मौजूदगी नहीं थी. इससे पहले भी रविवार को इजरायल ने लेबनान के सीमा शहर ऐता अल शाअब पर हमला किया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी.