क्या अमेरिका ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का आधा हिस्सा वापस कर सकता है! जानें क्या बोले ट्रेजरी प्रमुख?

स्कॉट बेसेन्ट का ये बयान दो संघीय न्यायालयों द्वारा यह फैसला दिए जाने के बाद आई है कि ट्रंप के पास अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम, जो 1977 का राष्ट्रीय सुरक्षा संकटों के लिए बनाया गया कानून है, इसके तहत लगभग हर देश पर टैरिफ लगाने की शक्ति नहीं है.

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Mayank Tiwari

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इम्पोर्ट ड्यूटी पॉलिसी को लेकर कानूनी विवाद गहराता जा रहा है. ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने रविवार (7 सितंबर) को चेतावनी दी कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि ट्रंप ने 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (आईईईपीए) के तहत टैरिफ लगाने में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया, तो अमेरिका को दसियों अरब डॉलर की टैरिफ इनकम लौटानी पड़ सकती है.

एनबीसी के मीट द प्रेस कार्यक्रम में एक इंटरव्यू के दौरान ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने कहा, "हमें लगभग आधे टैरिफ पर रिफंड देना होगा, जो ट्रेजरी के लिए भयानक होगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रशासन इन रिफंड्स के लिए तैयार है, तो उन्होंने स्वीकार किया,"अगर कोर्ट ऐसा कहता है, तो हमें ऐसा करना होगा."हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि ट्रंप प्रशासन इस मामले में जीत हासिल करेगा.

कोर्ट का फैसला और अपील की समयसीमा

दरअसल, 29 अगस्त को यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने 7-4 के फैसले में कहा कि ट्रंप ने अपनी "लिबरेशन डे" घोषणा के तहत लगभग हर देश पर "पारस्परिक टैरिफ" लगाकर आईईईपीए के तहत दी गई शक्तियों का उल्लंघन किया. कोर्ट ने अपने फैसले को 14 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया ताकि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके.

ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट से नवंबर की शुरुआत में सुनवाई करने और जल्द फैसला देने का अनुरोध किया है. यदि यह मुकदमा 2026 के मध्य तक खिंचता है, तो बेसेन्ट ने चेतावनी दी कि रिफंड की राशि 750 अरब से 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जिससे अमेरिकी फाइनेंशियल सिस्टम में "महत्वपूर्ण व्यवधान" पैदा होगा.

टैरिफ से आय और आर्थिक प्रभाव

अगस्त में नए टैरिफ लागू होने के बाद से, यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ने 70 अरब डॉलर से ज्यादा की टैरिफ इनकम इक्ठ्ठा की है, जो इस साल अब तक इक्ठ्ठा हुई 180 अरब डॉलर का आधा हिस्सा है. ट्रंप की बिजनेस पॉलिसी का टारगेट लगभग 70% अमेरिकी सामान इम्पोर्ट को कवर करना था.

यदि सुप्रीम कोर्ट टैरिफ को अवैध ठहराता है, तो शुल्क दरें लगभग 16% तक गिर सकती हैं. नाइके, हस्ब्रो और वॉलमार्ट जैसी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी, हालांकि, प्रशासन का दावा है कि यह उपभोक्ताओं पर टैक्स नहीं है. जुलाई में ही ट्रेजरी ने 28 अरब डॉलर की सीमा शुल्क आय एकत्र की थी.

जानें ट्रंप प्रशासन के पास क्या हैं वैकल्पिक कानूनी रास्ते!

बेसेन्ट ने भरोसा जताया कि सुप्रीम कोर्ट में हार के बावजूद प्रशासन के पास अन्य रास्ते हैं. उन्होंने कहा कि "हमारे पास कई अन्य रास्ते हैं जिन्हें हम अपना सकते हैं. हालांकि उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं दिया. नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के निदेशक केविन हासेट ने सीबीएस के 'फेस द नेशन' पर कहा कि प्रशासन 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट के सेक्शन 232 का इस्तेमाल कर सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर टैरिफ लगाने की अनुमति देता है.  

ट्रंप पहले ही 400 से ज़्यादा उत्पादों पर स्टील और एल्युमीनियम पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा चुके हैं और सेमीकंडक्टर और दवाइयों पर नए शुल्क लगाने की धमकी दे चुके हैं. कुछ टैरिफ, जैसे 800 डॉलर से कम कीमत के इम्पोर्ट पर "डी मिनिमिस छूट" को खत्म करना, इस कानूनी विवाद से अप्रभावित रहेंगे.

रूस के तेल आयात पर अतिरिक्त प्रतिबंध

बेसेन्ट ने रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने के लिए यूरोपीय साझेदारों के साथ समन्वय की बात कही. उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका और ईयू रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर और प्रतिबंध व सैकेंड टैरिफ लगा सकते हैं, तो रूसी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी, और यह (राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन को बातचीत की मेज पर लाएगा. 

पिछले महीने, अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, क्योंकि भारत रूसी कच्चे तेल का आयात जारी रखे हुए है. यह बयान रूस द्वारा यूक्रेन पर सबसे बड़े हवाई हमले के बाद आया, जिसमें कम से कम चार लोग मारे गए और कीव में एक सरकारी इमारत में आग लग गई. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एबीसी के 'दिस वीक' पर कहा कि मॉस्को के साथ बिजनेस करने वाले देशों पर टैरिफ "सही विचार" है और उन्होंने ट्रंप की यूरोपीय देशों की आलोचना का समर्थन किया.

अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर ट्रंप प्रशासन का दावा!

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं, क्योंकि ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स ने बताया कि अगस्त में केवल 22,000 नौकरियां जुड़ीं, जबकि बेरोजगारी दर बढ़कर 4.3% हो गई, जो चार सालों में उच्चतम है. बेसेंट ने "नौकरियों में मंदी" की बात को खारिज कर दिया और इसके बजाय 3.3 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि और रिकॉर्ड ऊंचाई पर शेयर बाजार की ओर इशारा किया.

 उन्होंने कहा, "अगर हालात इतने खराब हैं, तो जीडीपी 3.3 प्रतिशत क्यों रही? शेयर बाजार नई ऊंचाई पर क्यों है?" उन्होंने टैरिफ आय को राजकोषीय स्थिरता में सुधार का श्रेय दिया और कहा, "हमारा मानना ​​है कि अच्छी पॉलिसी लागू हैं जो अमेरिकी लोगों के लिए अच्छी, उच्च वेतन वाली नौकरियाँ पैदा करेंगी.