UN General Assembly: संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली से भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि यूक्रेन संकट का समाधान केवल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है. भारत के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत पी. हरीश ने कहा कि युद्ध में मासूम जान गंवाना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और मैदान-ए-जंग पर कोई हल नहीं निकल सकता.
राजदूत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से संपर्क में हैं. पीएम मोदी का यह रुख युद्ध का युग नहीं है आज भी भारत की कूटनीति की सबसे बड़ी पहचान है. हरीश ने कहा कि भारत हर उस पहल का समर्थन करेगा, जो बातचीत को आगे बढ़ाकर शांति स्थापित करने में मदद करे.
भारत ने यह भी चेताया कि यूक्रेन युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. खासकर ईंधन की कीमतों में उछाल से ग्लोबल साउथ (गरीब और विकासशील देशों) को गहरी चोट पहुंची है. भारत ने मांग की कि इन देशों की आवाज भी सुनी जाए और उनकी चिंताओं का समाधान किया जाए.
भारत ने यह भी साफ किया कि उसकी नीति लोगों पर केंद्रत है. इसी वजह से भारत ने यूक्रेन को मानवीय मदद पहुंचाई और ग्लोबल साउथ के साझेदार देशों को आर्थिक सहयोग दिया.
हाल ही में हुई भारत ने अलास्का समिट का स्वागत किया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने हिस्सा लिया. भारत ने वॉशिंगटन में हुई प्रगति की सराहना की और कहा कि विदेश मंत्रियों के स्तर पर बातचीत जारी रहना उम्मीद जगाता है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी यूक्रेन के विदेश मंत्री अंद्रि सिबीहा से बातचीत में भारत का रुख दोहराया. सिबीहा ने कहा कि कीव भारत की प्रभावशाली आवाज पर भरोसा करता है और चाहता है कि भारत शांति प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाए.