रूस से भारत के बंपर तेल खरीदने पर बौखलाया यूक्रेन! 1 अक्टूबर से भारत से आयात को लेकर किया बड़ा ऐलान
यूक्रेन ने भारत से आने वाले डीजल आयात पर सख्ती करने का फैसला लिया है. 1 अक्टूबर से ऐसे सभी डीजल कंसाइनमेंट की लैब टेस्टिंग की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनमें रूसी कंपोनेंट मौजूद नहीं हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध ने ऊर्जा बाजार को गहराई तक प्रभावित किया है. कभी बेलारूस और रूस से डीजल मंगाने वाला यूक्रेन अब यूरोपीय देशों और भारत जैसे विकल्पों की ओर रुख कर रहा है. लेकिन भारत के डीजल पर यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसियों ने नया संदेह जताया है, जिसके चलते अब आयातित भारतीय डीजल पर कड़ी निगरानी शुरू होने जा रही है.
यूक्रेनी ऊर्जा कंसल्टेंसी एनकोर के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों ने आदेश जारी किया है कि भारत से आने वाले सभी डीजल टैंकरों की लैब में जांच होगी. इसका मकसद यह पता लगाना है कि कहीं उनमें रूस से जुड़े कंपोनेंट तो नहीं हैं. दरअसल, भारत बड़ी मात्रा में रूसी कच्चा तेल खरीदता है और उसे रिफाइन करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचता है. इस वजह से यूक्रेन को आशंका है कि उसके आयातित डीजल में अप्रत्यक्ष रूप से रूस की हिस्सेदारी हो सकती है.
अगस्त में भारत से की 18% आपूर्ति
एनकोर के मुताबिक, सिर्फ अगस्त महीने में ही यूक्रेन ने भारत से 1.19 लाख टन डीजल खरीदा था. यह उसकी कुल डीजल आपूर्ति का करीब 18% है. युद्ध से पहले यूक्रेन की जरूरतें मुख्य रूप से बेलारूस और रूस से पूरी होती थीं. लेकिन 2022 में युद्ध छिड़ने और रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद यूक्रेन ने यूरोपीय देशों की ओर रुख किया. अब भारतीय डीजल उसकी ऊर्जा जरूरतों का एक अहम हिस्सा बन चुका है.
तेल रिफाइनरी पर हमलों का असर
यूक्रेनी ऊर्जा बाजार की मुश्किलें रूस के हमलों ने और बढ़ा दी हैं. इस साल गर्मियों में रूस ने यूक्रेन की एक अहम रिफाइनरी और कई फ्यूल स्टोरेज पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए. इसके चलते घरेलू उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ और आयात पर निर्भरता बढ़ गई. एनर्जी कंसल्टेंसी A-95 के मुताबिक, इसी कमी को पूरा करने के लिए व्यापारियों ने भारत से डीजल खरीदना शुरू किया. यहां तक कि यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने भी भारतीय डीजल खरीदा क्योंकि यह पोस्ट-सोवियत मानकों पर खरा उतरता था.
आयात में गिरावट और आगे की चुनौती
A-95 के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 की पहली छमाही में डीजल आयात पिछले साल की तुलना में 13% घटकर 2.74 मिलियन मीट्रिक टन रह गया. अब जबकि भारतीय डीजल पर अतिरिक्त जांच की शर्त लागू हो रही है, आयातकों के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. यूक्रेन के लिए यह चुनौती है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करे, जबकि रूस लगातार उसकी ऊर्जा संरचनाओं को निशाना बना रहा है. आने वाले समय में यूक्रेन को अपने ऊर्जा स्रोतों में और विविधता लाने की कोशिश करनी होगी.
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