श्रीलंका, बांग्लादेश के बाद अब थाईलैंड..., आखिर क्यों प्रधानमंत्री पद से हटाए गए श्रेत्था थाविसिन?

 श्रेत्था थाविसिन के खिलाफ थाइलेंड के पूर्व सत्ताधारी जुंटा द्वारा नियुक्त किए गए सांसदों के एक समूह ने केस दायर किया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि श्रेत्था थाविसिन ने अपनी कैबिनेट में आपराधिक रिकॉर्ड वाले वकील को शामिल कर नियमों का उल्लंघन किया है. श्रेत्था थाविसिन बीते 16 सालों में चौथे ऐसे थाई प्रधानमंत्री हैं जिनको अदालत के फैसले के बाद बर्खास्त किया गया है.

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India Daily Live

Thailand News: श्रीलंका और बांग्लादेश के बाद अब थाईलैंड के प्रधानमंत्री को भी अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है. थाईलैंड की सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रधानमंत्री श्रेत्था थाविसिन को उनके पद से हटा दिया. कोर्ट ने संविधान के नियमों का उल्लंघन कर कैबिनेट में की गई नियुक्तियों को लेकर यह कदम उठाया है. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि श्रेत्था थाविसिन ने नैतिकता के नियमों का घोर उल्लंघन किया था.

संवैधानिक नियमों के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे थे थाविसिन

यह निर्णय उन आरोपों के बाद लिया गया कि श्रेत्था थाविसिन संवैधानिक नियमों के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे थे. हालांकि कोर्ट ने कैबिनेट में हुईं असंवैधानिक नियुक्तियों को लेकर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है.

जुंटा ने दायर किया था केस

अपने फैसले में न्यायाधीशों ने कहा कि श्रेत्था थाविसिन ने अपनी कैबिनेट में आपराधिक रिकॉर्ड वाले वकील को शामिल कर नियमों का उल्लंघन किया है. श्रेत्था थाविसिन के खिलाफ थाइलेंड के पूर्व सत्ताधारी जुंटा (बल प्रयोग से देश पर शासन करने वालों (विशेषतः सैन्‍य अधिकारियों) का समूह) द्वारा नियुक्त किए गए सांसदों के एक समूह ने केस दायर किया था. 

पद से हटाए जाने वाले चौथे पीएम

श्रेत्था थाविसिन बीते 16 सालों में चौथे ऐसे थाई प्रधानमंत्री हैं जिनको अदालत के फैसले के बाद बर्खास्त किया गया है. थाईलैंड में फिलहाल उपप्रधानमंत्री फुमथम बेचयाचाई के कार्यवाहक पीएम के तौर पर कार्यभार संभालने की उम्मीद है.

क्या था पूरा मामला
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रेत्था ने शिनावात्रा के पूर्व वकील पिचिट चुएनबान की कैबिनेट में नियुक्ति को बरकार रखा था, जिन्हें 2008 में कोर्ट के कर्मचारियों को रिश्वत देने से जुड़े केस में अदालत की अवमानना के लिए कुछ समय के लिए जेल भेजा गया था. हालांकि उन पर रिश्वतखोरी का आरोप साबित नहीं हुआ था.