President Putin India visit: पीएम मोदी के चीन दौरे से पहले रूस का बड़ा ऐलान, पुतिन दिसंबर में करेंगे भारत का दौरा

क्रेमलिन के एक वरिष्ठ सहयोगी ने खुलासा किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 2025 में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रूसी तेल खरीद के चलते भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत और रूस के बीच संबंध और मजबूत हो रहे हैं.

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Garima Singh

Putin India visit: क्रेमलिन के एक वरिष्ठ सहयोगी ने खुलासा किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 2025 में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रूसी तेल खरीद के चलते भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत और रूस के बीच संबंध और मजबूत हो रहे हैं. क्रेमलिन के सहयोगी 'यूरी उशाकोव' ने संवाददाताओं को बताया, "पुतिन सोमवार को चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे, जहां वे दिसंबर की यात्रा की तैयारियों पर चर्चा करेंगे."

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हाल ही में पुष्टि की थी कि पुतिन जल्द ही भारत का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा, "हमारे बीच एक विशेष, दीर्घकालिक संबंध है और हम इस रिश्ते को महत्व देते हैं." यह यात्रा दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी. भारत और रूस के बीच सैन्य, ऊर्जा, और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग लंबे समय से चला आ रहा है.

अमेरिकी टैरिफ और भारत का जवाब

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. ट्रम्प ने कहा, "भारत न सिर्फ़ भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि ख़रीदे गए तेल का एक बड़ा हिस्सा खुले बाज़ार में भारी मुनाफ़े पर बेच भी रहा है. उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि रूसी युद्ध मशीन यूक्रेन में कितने लोगों को मार रही है." अमेरिका का दावा है कि यह टैरिफ यूक्रेन में रूस के आक्रमण को रोकने के लिए दबाव बनाने का हिस्सा है. हालांकि, भारत ने इस कदम को "अनुचित, अनुचित और अतार्किक" करार देते हुए इसका विरोध किया है.

रूस की ऊर्जा रणनीति

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस की निर्यात आय को कम करने की कोशिश की है. इसके जवाब में मॉस्को ने अपनी ऊर्जा बिक्री को यूरोप से हटाकर भारत और चीन जैसे देशों की ओर स्थानांतरित कर दिया है. इससे रूस को अरबों डॉलर का राजस्व प्राप्त हो रहा है, जिसने उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद की है.