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‘मेरा पेन वापस करो', इंडिगो संकट के बीच अरबपति को सैलरी न देने पर फटकार लगाते पुतिन का पुराना वीडियो वायरल

इंडिगो के बड़े ऑपरेशनल संकट और हजारों उड़ानों के रद्द होने के बीच सोशल मीडिया पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन का 2009 का वीडियो वायरल हुआ. इसमें उन्होंने ओलिगार्क को मजदूरों की सैलरी न देने पर फटकार लगाई.

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Kuldeep Sharma

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के ऑपरेशनल संकट और उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने ने यात्रियों को बेहाल कर दिया. इस बीच सोशल मीडिया पर पुतिन का 2009 का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने एक अरबपति उद्योगपति को मजदूरों की बकाया सैलरी न देने पर सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई. 

वीडियो ने लोगों को याद दिलाया कि सत्ता हमेशा नागरिकों की भलाई और कानून के पक्ष में रहनी चाहिए, न कि कॉर्पोरेट ताकतों के दबाव में.

इंडिगो संकट, उड़ानें रद्द

इंडिगो, जिसकी मार्केट शेयर 60% से अधिक है, अचानक ऑपरेशनल संकट में फंस गई है. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में हजारों यात्री फंसे रहे. एयरपोर्ट फ्लोर वेटिंग रूम बन गए, लोग कुर्सियों पर सोते दिखे और बैगों का ढेर लग गया. एयरलाइन की ओर से पर्याप्त जानकारी न मिलने से यात्रियों में भारी नाराजगी थी.

संकट की वजह- DGCA के नए नियम

DGCA ने Flight Duty Time Limitation (FDTL) के नए नियम लागू किए थे, जिसमें पायलटों के लिए सख्त आराम अवधि और रात की ड्यूटी पर प्रतिबंध थे. इंडिगो इन नियमों के लिए तैयार नहीं थी, जिससे ऑपरेशन चरमरा गया. DGCA ने अंततः रात की ड्यूटी नियमों में केवल इंडिगो के लिए आंशिक छूट दी, जिससे समस्या कुछ हद तक कम हुई.

पुतिन का 2009 वीडियो हुआ वायरल

संकट के समय सोशल मीडिया पर पुतिन का 2009 का वीडियो वायरल हुआ. उस समय रूस के प्रधानमंत्री पुतिन ने अरबपति ओलेग डेरीपास्का को मजदूरों की तीन महीने की सैलरी न देने पर लाइव टीवी पर जमकर फटकार लगाई. उन्होंने खुले मंच से उद्योगपति को कानून के सामने झुकने के लिए मजबूर किया.

‘गिव मी बैक माई पेन’

वीडियो में पुतिन ने उद्योगपति से साइन करवाया और जाते समय पेन ले जाने पर उसे वापस मांगा. इस घटना ने प्रतीकात्मक संदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति या व्यवसाय कानून के ऊपर नहीं है. मजदूरों को तुरंत सैलरी मिली और स्थिति सामान्य हुई.

इंडिगो संकट और पुतिन की याद

लोगों ने इंडिगो संकट के दौरान पुतिन के इस कड़े रुख को याद किया. कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या भारत में भी इंडिगो पर ऐसा मॉडल लागू किया जा सकता है. यह सिर्फ उड़ानों के रद्द होने का मामला नहीं, बल्कि चेतावनी है कि कॉर्पोरेट ताकतें जब राज्य की संप्रभुता को चुनौती देती हैं तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं.