क्या राष्ट्रपति जरदारी को हटाकर PAK बनेंगे पाकिस्तान के राष्ट्रपति? प्रधानमंत्री शहवाज शरीफ ने बताई सच्चाई

पाकिस्तान की सियासत में अफवाहें और अटकलें कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन शहबाज शरीफ और नकवी के बयानों ने इन दावों को खारिज कर स्थिरता का संदेश दिया है. देश अब इन साजिशों को नाकाम कर प्रगति की ओर बढ़ने की दिशा में कदम उठा रहा है.

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Mayank Tiwari

हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की सियासत में हलचल तेज हो गई है. राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को पद से हटाने और सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के राष्ट्रपति बनने की अटकलों ने जोर पकड़ा था. इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने इन दावों को “मात्र अफवाहें और निराधार अटकलें” करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया.

शहबाज शरीफ का स्पष्ट बयान

पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार द न्यूज से बातचीत में शरीफ ने कहा, “फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने कभी राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं जताई है और न ही ऐसी कोई योजना विचाराधीन है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके, राष्ट्रपति जरदारी और सेना प्रमुख मुनीर के बीच आपसी सम्मान और पाकिस्तान की प्रगति व समृद्धि के साझा लक्ष्य पर आधारित मजबूत रिश्ते हैं. शरीफ ने इन अफवाहों को देश में अस्थिरता फैलाने की साजिश का हिस्सा बताया.

गृह मंत्री नकवी की कड़ी प्रतिक्रिया

यह बयान गृह मंत्री मोहसिन नकवी के एक दिन पहले दिए गए बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जरदारी, शरीफ और मुनीर के खिलाफ चलाए जा रहे “दुर्भावनापूर्ण अभियान” की कड़ी निंदा की. नकवी ने कहा, “इस अभियान के पीछे कौन है, सभी जानते हैं. न तो राष्ट्रपति को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है और न ही सेना प्रमुख ने राष्ट्रपति बनने की इच्छा जताई है.” उन्होंने विदेशी शत्रुतापूर्ण ताकतों की संलिप्तता पर सवाल उठाते हुए कहा, “जो लोग इस साजिश का हिस्सा हैं, वे चाहे जो करें, हमारी प्रतिबद्धता पाकिस्तान को मजबूत और स्थिर बनाने की है. इंशाअल्लाह, हम हर जरूरी कदम उठाएंगे.”

असीम मुनीर का बढ़ा कार्यकालफील्ड मार्शल असीम मुनीर को 2022 में तीन साल के लिए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था, लेकिन सरकार ने उनके कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ा दिया. सूत्रों का कहना है कि भविष्य में इसे और बढ़ाया जा सकता है. यह निर्णय उनकी सैन्य और रणनीतिक क्षमताओं पर सरकार के भरोसे को दर्शाता है.

जरदारी और भुट्टो परिवार का प्रभाव

पिछले साल के चुनावों में जरदारी ने शहबाज शरीफ का समर्थन किया था, जिसके बदले उन्हें पांच साल के लिए राष्ट्रपति बनाया गया. इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो के साथ सत्तारूढ़ दल के रिश्ते भी मजबूत हैं. हाल ही में बिलावल को एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा गया, जो भारत-पाक संबंधों की बदलती गतिशीलता को वैश्विक मंच पर साझा करने के लिए विभिन्न देशों का दौरा कर रहा है. यह भुट्टो परिवार के सियासी प्रभाव को दर्शाता है.