ट्रंप के गाजा शांति योजना पर पाकिस्तान में मचा बवाल! जानें क्यों अपने ही वजीरे आला पर भड़के पाकिस्तानी

Gaza Peace Plan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना का समर्थन करने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तीखे विवादों में घिर गए हैं. विदेश मंत्री इशाक डार ने इस योजना से पल्ला झाड़ लिया और इसे 'हमारा दस्तावेज नहीं' बताया. सोशल मीडिया पर लोगों ने शरीफ पर फिलिस्तीन मुद्दे पर देश की पुरानी नीति से हटने और वाशिंगटन को खुश करने का आरोप लगाया है.

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Babli Rautela

Gaza Peace Plan: गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश की गई 20-सूत्रीय शांति योजना ने पाकिस्तान में सियासी भूचाल मचा दिया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा इस विवादास्पद प्रस्ताव का समर्थन करने पर विपक्षी दलों से लेकर आम जनता तक ने कड़ी आलोचना की है. आलोचकों का कहना है कि यह रुख पाकिस्तान की फ़िलिस्तीन के प्रति ऐतिहासिक नीति से हटकर है और इससे देश की साख पर असर पड़ेगा.

प्रधानमंत्री के रुख से अलग हटते हुए, विदेश मंत्री और उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने ट्रंप की योजना से किनारा कर लिया. उन्होंने साफ कहा, 'यह हमारा दस्तावेज नहीं है. कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जिन पर हम ध्यान देना चाहते हैं और अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा हो.'

विदेश मंत्री ने झाड़ा पल्ला

डार ने आगे यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान की प्राथमिकताएं युद्धविराम सुनिश्चित करना, 'रक्तपात रोकना, मानवीय सहायता पहुंचाना और जबरन विस्थापन को समाप्त करना' हैं. उन्होंने इस पूरी योजना को अमेरिका की पहल करार दिया और कहा कि इसे पाकिस्तान के आधिकारिक रुख से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

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सोशल मीडिया पर गुस्सा

प्रधानमंत्री शरीफ के समर्थन के कुछ ही घंटों में पाकिस्तान का सोशल मीडिया गुस्से से भर गया. एक एक्स यूज़र ने लिखा, 'फ़िलिस्तीन के साथ कभी विश्वासघात नहीं होगा, न ही हम अपने देश से किसी विश्वासघात की इजाजत देंगे. हम प्रधानमंत्री द्वारा ट्रंप की तथाकथित गाजा शांति योजना के समर्थन को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैं.' दूसरे यूजर ने सवाल उठाया, '70,000 नागरिकों की मौत के बाद भी इजराइल सुरक्षा घेरा बनाए हुए है, तो गाजा का विसैन्यीकरण कैसे हो सकता है?'

ट्रंप की 20-सूत्रीय योजना में गाजा पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय 'शांति बोर्ड' के गठन का प्रस्ताव शामिल है. आलोचकों का कहना है कि यह व्यवस्था फिलिस्तीनियों को उनके भविष्य पर नियंत्रण से वंचित कर देगी. पाकिस्तान के कई बुद्धिजीवियों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस प्रस्ताव को 'कब्जे का नया नाम' करार दिया है.