इंडोनेशिया और थाइलैंड में जल प्रलय, मरने वालों की संख्या हुई 600 के पार, सैकड़ों लापता

विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता और अवधि दोनों बढ़ रही हैं. थाईलैंड में यह एक दशक की सबसे भीषण बाढ़ है.

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Sagar Bhardwaj

दक्षिण-पूर्व एशिया इस समय एक अभूतपूर्व प्राकृतिक त्रासदी से जूझ रहा है. भारी मानसूनी बारिश के कारण इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया में बाढ़ और भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर तबाही मचा दी है. कई क्षेत्रों में पानी उतरने लगा है, लेकिन तबाही का मंजर अभी भी हर तरफ दिखाई दे रहा है. राहत एजेंसियां मलबा हटाने और लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं, जबकि हजारों परिवार बिना आश्रय और जरूरी सुविधाओं के फंसे हुए हैं. 

कई इलाके शहर से कटे

इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर केंद्रीय तपानुली और सिबोल्गा शहर पूरी तरह से संपर्क से कटे हुए हैं. राजधानी जकार्ता से दो युद्धपोत राहत सामग्री लेकर रवाना किए गए हैं, जो सोमवार तक सिबोल्गा पहुंचने की उम्मीद है.

लगातार बढ़ रहा मौत का आंकड़ा

देश में मरने वालों की संख्या 442 तक पहुंच गई है, जबकि 402 लोग अब भी लापता हैं. करीब 646 लोग घायल हुए हैं. कई गांवों में कीचड़ ने घरों, वाहनों और खेतों को ढक लिया है और अभी तक सड़कें साफ नहीं हुई हैं.

लोग छोड़ना नहीं चाहते अपना घर

सुमात्रा के सुंगई न्यालो गांव में लोग अपने घर छोड़ना नहीं चाहते, इसलिए वहीं टिके हुए हैं. इसी बीच, मेउरुडु कस्बे में एक दुर्लभ सुमात्रन हाथी मलबे में मृत पाया गया, जिससे वन्यजीवों पर खतरा साफ दिखता है.

 थाईलैंड में इस दशक की सबसे भीषण बाढ़

थाईलैंड में एक दशक की सबसे भीषण बाढ़ में 162 लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार मुआवजा और राहत पहुंचा रही है, लेकिन प्रतिक्रिया में देरी को लेकर आलोचना बढ़ रही है. दो स्थानीय अधिकारी निलंबित किए गए हैं.

 जलवायु परिवर्तन लील रहा जिंदगी

मलेशिया के उत्तरी पेरलिस प्रांत में दो लोगों की मौत हुई है. विशेषज्ञों के अनुसार इस बार मानसून के साथ आए ट्रॉपिकल स्टॉर्म ने हालात और बिगाड़ दिए. जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता और अवधि दोनों बढ़ रही हैं.