म्यांमार में सेना की हवाई बमबारी में अस्पताल तबाह, 34 लोगों की दर्दनाक मौत

म्यांमार के रखाइन राज्य में सेना के हवाई हमले ने अराकान आर्मी के नियंत्रण वाले अस्पताल को निशाना बनाया, जिसमें 34 लोगों की मौत और करीब 80 घायल हुए. हादसा क्षेत्र में बढ़ते संघर्ष और अस्थिरता को उजागर करता है.

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Kuldeep Sharma

म्यांमार के रखाइन राज्य में बुधवार रात हुआ विनाशकारी हवाई हमला एक बार फिर साबित करता है कि देश नागरिक युद्ध की गहरी खाई में फंस चुका है. 

अराकान आर्मी के कब्जे वाले मराउक-यू कस्बे में स्थित एक सक्रिय अस्पताल पर सेना ने दो बम गिराए, जिसमें मरीजों से लेकर स्वास्थ्यकर्मियों तक 34 जानें चली गईं. लगभग 80 लोग घायल हुए हैं. यह हमला ऐसे समय हुआ है जब क्षेत्र में संघर्ष तेज है और स्थानीय आबादी बेहद सीमित चिकित्सकीय सुविधाओं पर निर्भर है.

अस्पताल पर रात के अंधेरे में हुआ हवाई हमला

स्थानीय बचाव दल के अधिकारियों के अनुसार, हमला रात 9:13 बजे जेट विमान से गिराए गए दो बमों से हुआ. एक बम सीधे रिकवरी वार्ड पर गिरा, जबकि दूसरा मुख्य इमारत के पास फटा. हमले में 17 पुरुष और 17 महिलाओं की मौत की पुष्टि की गई है. अस्पताल की इमारत लगभग पूरी तरह मलबे में बदल गई, जबकि आसपास खड़ी टैक्सियों और मोटरसाइकिलों को भी भारी नुकसान हुआ.

अराकान आर्मी नियंत्रित क्षेत्र में बढ़ता संघर्ष

मराउक-यू कस्बा पिछले वर्ष फरवरी से अराकान आर्मी के नियंत्रण में है. यह समूह दशकों से रखाइन राज्य में अधिक स्वायत्तता की मांग करता रहा है. 2023 के अंत से समूह ने व्यापक सैन्य अभियान चलाया है और 17 में से 14 टाउनशिप में अपना प्रभाव बढ़ा लिया है. ऐसे में अस्पताल पर हमला उस संघर्ष का हिस्सा माना जा रहा है, जिसने पूरे क्षेत्र में असुरक्षा बढ़ा दी है.

स्वास्थ्य सुविधाओं पर गहरा संकट

हमला जिस अस्पताल पर हुआ, वह इस क्षेत्र में बचे कुछ सक्रिय चिकित्सा केंद्रों में से एक था. रखाइन के कई अस्पताल ongoing संघर्ष के कारण पहले ही बंद पड़े हैं. डॉक्टरों और नर्सों ने हाल ही में यहां सेवाएं बहाल की थीं, ताकि स्थानीय लोगों को बुनियादी इलाज मिल सके. हमले के बाद स्वास्थ्य ढांचे पर और गंभीर असर पड़ने की आशंका है.

अंतरराष्ट्रीय आलोचना और प्रतिक्रिया

म्यांमार की निर्वासित ‘राष्ट्रीय एकता सरकार’ ने हमले की कड़ी निंदा की है. समूह ने वैश्विक समुदाय से सैन्य शासन पर दबाव बढ़ाने और हिंसा को रोकने की अपील की है. वर्षों से जारी संकट ने देश को मानवाधिकार उल्लंघनों के केंद्र में ला खड़ा किया है. अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी पहले कई बार ऐसे हमलों पर चिंता जताई है.

चुनाव से पहले बढ़ा सैन्य दमन

2021 में सत्ता हथियाने के बाद से सेना पर लगातार हिंसक कार्रवाई बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं. 28 दिसंबर को प्रस्तावित चुनावों से पहले हवाई हमलों में और तेजी देखी जा रही है. आलोचकों का कहना है कि ये चुनाव 'स्वतंत्र या निष्पक्ष' नहीं होंगे और केवल सैन्य शासन को वैध ठहराने का प्रयास हैं.