चीन में अंतिम संस्कार के नियमों में बदलाव! ग्रामीणों ने क्यों दी जिनपिंग के पूर्वजों की कब्रें खोदने की चेतावनी? जानें
चीन के गुइझोउ प्रांत में अंतिम संस्कार के नए नियम के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध भड़क उठा है. लोग सरकार पर परंपराओं को नष्ट करने का आरोप लगा रहे हैं.
नई दिल्ली: चीन के गांवों में इस समय असंतोष और विरोध तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार इस साल अब तक चीन के ग्रामीण इलाकों में 661 विरोध प्रदर्शन दर्ज किए गए हैं. यह संख्या पिछले पूरे साल की तुलना में 70 प्रतिशत ज्यादा है. दक्षिणी चीन के गुइझोउ प्रांत में हाल में भड़के विरोध इसे और बड़ा संकेत दे रहे हैं कि गांवों के लोग अब सरकारी फैसलों को चुनौती देने से पीछे नहीं हट रहे हैं.
चीन की छवि एक ऐसे देश की है जहां आम लोग खुलकर सरकार की आलोचना नहीं कर सकते, लेकिन इस समय गांवों में उबलता गुस्सा यह दिखा रहा है कि हालात बदल रहे हैं. गुइझोउ प्रांत में विरोध की शुरुआत स्थानीय अधिकारियों द्वारा बनाए गए एक नए नियम के बाद हुई. इस नियम में कहा गया कि अब मृतकों को दफनाने के बजाय दाह संस्कार करना होगा. ग्रामीणों ने इसे अपनी संस्कृति और परंपराओं पर सीधा हमला बताया.
क्या है वहां अंतिम संस्कार का तरीका?
इस क्षेत्र में मियाओ जातीयता के लोग ज्यादा हैं और इनकी परंपरा में दफनाना ही अंतिम संस्कार का तरीका माना जाता है. अधिकारियों के इस नए फैसले के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे. विरोध के दौरान एक वीडियो भी सामने आया जिसमें एक ग्रामीण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर सीधा निशाना साधते हुए चिल्लाता है कि अगर सरकार लोगों के पूर्वजों की कब्रें खोदने की बात कर रही है तो पहले शी जिनपिंग की पैतृक कब्रें खोदी जाएं.
लोगों ने क्यों किया विरोध?
यह बयान चीन के माहौल में बेहद असामान्य माना जा रहा है क्योंकि चीन में शीर्ष नेतृत्व की आलोचना करना आमतौर पर गंभीर अपराध माना जाता है. लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि सरकार को यह अधिकार किसने दिया कि वह बताए कि कोई अपना अंतिम संस्कार कैसे करे. ग्रामीणों का कहना है कि यह नियम उनकी परंपराओं, धार्मिक भावनाओं और संस्कृति पर हमला है. विरोध की तीव्रता बढ़ती गई और कई गांवों में प्रशासन को हालात संभालने में मुश्किल हुई.
चाइना डिसेंट मॉनिटर यानी सीडीएम की रिपोर्ट के अनुसार 2025 की तीसरी तिमाही में अकेले 1400 अशांति की घटनाएं दर्ज हुईं जो पिछले साल की तुलना में 45 प्रतिशत ज्यादा हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि चीन के गांवों में असंतोष उफान पर है और सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
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