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India Daily

भारत की EV सब्सिडी पर बौखलाया चीन, गिड़गिड़ाते हुए WTO से की ये मांग

China Files WTO Complaint Against India: भारत और चीन के बीच एक बार फिर आर्थिक मोर्चे पर तनातनी बढ़ गई है. बीजिंग ने भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और बैटरी सब्सिडी को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में औपचारिक शिकायत दर्ज की है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
TATA EV
Courtesy: social media

China Files WTO Complaint Against India: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बाद अब विवाद का नया मोर्चा वैश्विक व्यापार मंच पर खुल गया है. चीन ने भारत की EV और बैटरी सब्सिडी नीतियों को चुनौती देते हुए WTO में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है. 

यह मामला केवल व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का नहीं, बल्कि एशिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ती आर्थिक खींचतान का भी संकेत देता है.

चीन ने EV सब्सिडी पर आपत्ति

चीन ने WTO में दाखिल अपने आवेदन में दावा किया है कि भारत की EV और बैटरी सब्सिडी नीति विदेशी कंपनियों को नुकसान पहुंचा रही है और 'फेयर ट्रेड' (निष्पक्ष व्यापार) के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है. चीन ने इसी तरह की शिकायतें तुर्किये, कनाडा और यूरोपीय संघ (EU) के खिलाफ भी दर्ज की हैं.

WTO के नियमों के अनुसार, इस प्रक्रिया का पहला चरण ‘कंसल्टेशन’ यानी परामर्श का होता है, जिसमें दोनों पक्ष आपसी बातचीत से समाधान निकालने की कोशिश करते हैं. अगर यह चरण असफल रहता है, तो WTO एक औपचारिक पैनल गठित करता है जो मामले की सुनवाई करता है.

शिकायत पर होगी विस्तृत समीक्षा

भारत के वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा है कि मंत्रालय चीन द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की बारीकी से समीक्षा करेगा. उन्होंने कहा, 'हम WTO के सभी नियमों और प्रक्रियाओं का सम्मान करते हैं. जो भी सब्सिडी दी जा रही है, वह घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से है.'

भारत का तर्क है कि उसकी 'EV और बैटरी सब्सिडी' नीतियां आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) और 'ग्रीन मोबिलिटी' के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं, जो WTO नियमों के अनुरूप हैं.

भारत-चीन व्यापार संतुलन में भारी असमानता

चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन गहराई से असंतुलित है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया. जहां भारत से चीन को निर्यात 14.5% घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया, वहीं चीन से आयात 11.5% बढ़कर 113.45 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

यह आंकड़ा बताता है कि भारत का घरेलू उत्पादन और निर्यात अब भी चीन के मुकाबले काफी कमजोर स्थिति में है, और ऐसे में भारत के लिए स्थानीय उद्योगों को सब्सिडी के जरिए समर्थन देना अनिवार्य हो जाता है.

नई व्यापारिक जंग की शुरुआत?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह शिकायत भारत-चीन के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्धा को एक नए चरण में ले जा सकती है. EV सेक्टर में भारत तेजी से निवेश आकर्षित कर रहा है और चीन इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है. WTO में यह विवाद दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर और तनाव ला सकता है. कई विश्लेषक इसे 'ग्रीन ट्रेड वॉर' की शुरुआत मान रहे हैं, जिसमें दोनों देश न केवल तकनीकी श्रेष्ठता बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हिस्सेदारी के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं.