कवि काजी नजरुल इस्लाम के बगल में दफनाया जाएगा उस्मान हादी का शव, जानें कब होगी अंतिम विदाई
शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में शोक और विरोध का माहौल है. उनको राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के बगल में दफनाया जाएगा.
नई दिल्ली: बांग्लादेश के प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी को देश के राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम की कब्र के पास दफनाया जाएगा. यह फैसला हादी के परिवार की इच्छा पर लिया गया है. संगठन इंकलाब मंच ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी. पोस्ट में बताया गया कि हादी की जनाजा नमाज जुहर की नमाज के बाद ढाका के मानिक मिया एवेन्यू पर अदा की जाएगी.
शरीफ उस्मान हादी का पार्थिव शरीर शुक्रवार शाम सिंगापुर से ढाका लाया गया. वह पिछले सप्ताह गोली लगने के बाद सिंगापुर में इलाज करा रहे थे. इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई. बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र के नाम संबोधन में उनकी मौत की पुष्टि की. इसके बाद पूरे देश में शोक और गुस्से की लहर फैल गई. कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुए जो बाद में हिंसक भी हो गए.
कब होगा अंतिम संस्कार की नमाज?
मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि हादी की जनाजा नमाज शनिवार को संसद भवन जातीय संसद भवन के साउथ प्लाजा में दोपहर दो बजे होगी. पहले यह समय ढाई बजे बताया गया था लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया. सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लोगों से अपील की है कि जनाजा में आने वाले लोग कोई बैग या भारी सामान साथ न लाएं. इसके साथ ही संसद भवन और आसपास के इलाकों में ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है.
इंकलाब मंच ने अपने समर्थकों से की ये अपील?
हादी के पार्थिव शरीर के ढाका पहुंचते ही इंकलाब मंच ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की. संगठन ने कहा कि कोई भी व्यक्ति मंच के अलावा किसी और के निर्देश या उकसावे में न आए. बयान में कहा गया कि इंकलाब मंच शहीद उस्मान हादी को ढाका यूनिवर्सिटी सेंट्रल मस्जिद लेकर जाएगा. छात्रों और आम लोगों से सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग करने का आह्वान किया गया.
उस्मान हादी के समर्थकों ने क्या रखी मांग?
शरीफ उस्मान हादी को बांग्लादेश के युवाओं की मजबूत आवाज माना जाता था. उनकी हत्या ने देश की राजनीति और समाज को झकझोर दिया है. राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के पास दफनाया जाना हादी के लिए एक बड़े सम्मान के रूप में देखा जा रहा है. समर्थकों का कहना है कि यह फैसला उनके संघर्ष और विचारों की पहचान है. देशभर में लोग उनकी मौत पर दुख और गुस्सा जता रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
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