वायनाड को छोड़ रायबरेली को क्यों चुना? समझिए क्या है राहुल गांधी की पॉलिटिक्स

Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने रायबरेली और केरल की वायनाड संसदीय सीट से चुनाव जीता था. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्हें कोई एक सीट छोड़नी थी. इस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपना फैसला किया है. राहुल ने वायनाड सीट छोड़ते हुए रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला किया है. खाली हुई वायनाड सीट से प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में उतरेंगी. कांग्रेस पार्टी के इस फैसले को बड़ी राजनीतिक लकीर के रूप में देखा जा रहा है.

Social Media
India Daily Live

Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव में रायबरेली और वायनाड से चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस पार्टी में यह उलझन चल रही थी कि राहुल गांधी किस सीट को छोड़ेंगे. आज इस पर फैसला सामने आ गया है. राहुल गांधी ने वायना़ड सीट छोड़ने का फैसला किया है. वह अब संसद में रायबरेली का प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे. राहुल के इस फैसले के पीछे पूरे उत्तर भारत की सियासत को बड़ा संदेश दिया है. रायबरेली सीट ना छोड़कर राहुल ने उत्तर भारत की राजनीति को नया संदेश दिया है.

लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दोनों जगहों से चुनाव लड़ा था. रायबरेली की जनता ने उन्हें 3.90 लाख के भारी अंतर से विजयी बनाकर यह बता दिया कि वह गांधी परिवार को कितना चाहती है. रायबरेली के लोगों को उम्मीद थी कि वह वायनाड सीट छोड़ेंगे. राहुल गांधी ने रायबरेली के लोगों की उम्मीद पर खरा उतरते हुए वायनाड सीट छोड़ने का ऐलान कर दिया. प्रियंका गांधी अब वायनाड सीट से चुनाव लडे़ंगी. राहुल के इस फैसले से रायबरेली के लोग बेहद उत्साहित हैं. 

बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश 

राहुल ने रायबरेली सीट अपने पास रखकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है. इस लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी यूपी में लंबे समय के बाद मजबूत दिखाई दी है. दिल्ली की गद्दी का सीधा रास्ता यूपी के गलियारों से होकर जाता है. यही कारण है कि राहुल ने रायबरेली को ना छोड़ने का फैसला किया. राहुल के रायबरेली सीट पर रहने से पार्टी संगठन सहित पूरे उत्तर भारत में मजबूती के साथ अपने प्रभाव में विस्तार करेगी. उत्तर भारत में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी वह नए तेवर के साथ आगे बढ़ेगी. इसके अलावा उनकी कोशिश है कि वे रायबरेली से गांधी परिवार के पुराने रिश्ते को बरकरार रखें और लोगों को उसकी याद दिलाते रहें. 

सोनिया गांधी ने पहले ही किया था इशारा 

गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी अब रायबरेली से नेतृत्व करेगी. रायबरेली से इससे पहले फिरोज गांधी, इंदिरा, सोनिया गांधी रायबरेली सीट से संसद जा चुकी हैं. चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने एक चुनावी सभा में कहा था कि वे अपना बेटा सौंप रही हैं. सोनिया की यह अपील भी राहुल के रायबरेली सीट पर बने रहने का संकेत दे चुकी थी. 

कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगा फैसला 

अमेठी के नए सांसद किशोरी लाल शर्मा का कहना है कि रायबरेली की आम जनता राहुल गांधी को ही चाहता था. राहुल ने उनकी उम्मीदों को पूरा किया है. रायबरेली कांग्रेस के अध्यक्ष पंकज तिवारी का कहना है उन्होंने इस सीट को ना छोड़कर बड़ा राजनीतिक मैसेज दिया है. राजनीतिक मामलों के जानकारों का कहना था कि रायबरेली के लोगों ने चुनाव में अपना संदेश दे दिया था. अब बारी राहुल गांधी की थी. राहुल गांधी भी इस उम्मीद पर खरे उतरे हैं. यह फैसला रायबरेली का नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत की सियासत के लिए खासी अहमियत रखता है. कांग्रेस के प्रसार और प्रभाव में यह फैसला मील का पत्तर साबित होगा.