शराब घोटाले पर अब तक CAG रिपोर्ट क्यों नहीं? आम आदमी पार्टी को दिल्ली HC ने लगाई फटकार

आम आदमी पार्टी को एक बार फिर दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से फटकार लगी है. इस बार पार्टी को शराब घोटाले मामले में CAG की रिपोर्ट को विधानसभा अध्यक्ष के सामने प्रस्तुत ना करने के कारण लगाई गई है. अदालत की ओर से कहा गया कि इस जल्द से जल्द स्पीकर को भेजना चाहिए था.

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Shanu Sharma

Delhi High court: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच एक बार फिर दिल्ली में शराब घोटाले का मामला सुर्खियों में आया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को CAG की रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष के सामने प्रस्तुत करने में देरी के लिए फटकार लगाई है. अदालत की ओर से AAP को कहा गया कि आपको इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द स्पीकर को भेजना चाहिए था, जिससे की सदन में चर्चा की जा सकें. हालांकि अब इस मामले की सुनवाई अब 2:30 बजे की जाएगी. 

अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि जिस तरह से आप अपने कदम पीछे खींच रहे हैं वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. आपको इसे (रिपोर्ट) अध्यक्ष को भेजने और विधानसभा में चर्चा करने में तत्पर होना चाहिए था. लेकिन आप की ओर से इसे नजरअंदाज किया जाता रहा. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजने में देरी और मामले को संभालने का आपका तरीका आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा कर रहा है.

क्या कहता है रिपोर्ट?

दिल्ली सरकार की आबकारी नीति पर रिपोर्ट में राज्य के खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होने का खुलासा किया गया था. रिपोर्ट में आप की गलतियों को उजागर करते हुए कहा गया है कि नीति के उद्देश्य से विचलन, मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी और लाइसेंस जारी करने में उल्लंघन किए गए थे. हालांकि आप की ओर से लगातार इसे एक बेतूका आरोप बताया गया है. 

चुनावी माहौल में बढ़ी सरगर्मी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच एक बार फिर से इस मामले के उठने के कारण राजनीतिक पार्टियों के बीच हलचल तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से आप और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल के आवास पर भी बहस छीड़ी हुई है. बीजेपी ने पूर्व सीएम केजरीवाल के घर को 'शीश महल' करार दिया है. भाजपा ने CAG निष्कर्षों का हवाला भी दिया था. जिसमें कहा गया था कि भ्रष्टाचार के कारण सीएम आवास के जीर्णोद्धार की लागत 8 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 32 करोड़ रुपये कर दी गई थी.