Explainer: संसद का स्पेशल सत्र कब और क्यों बुलाया जाता है? एक क्लिक में जान लीजिए पूरी बात
Special Session Of Parliament: इस विशेष सत्र बुलाने का एजेंडा क्या है इसके बारे में सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है. ऐसे में हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर संसद का विशेष सत्र कब और कैसे बुलाया जाता है. आइए जानने की कोशिश करते हैं.
नई दिल्ली. 11 अगस्त को संसद का मानसून खत्म हुआ था. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. सरकार ने कई बिल पारित कराए. मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों में गहमा-गहमी दिखी. अब केंद्र की मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र (Special session of Parliament) बुलाया है. अचानक सरकार द्वारा बुलाए गए स्पेशल सत्र को लेकर विपक्ष भी हैरान है. अटकलों का बाजार गर्म है. कोई कह रहा है कि सरकार इस दौरान वन नेशन, वन इलेक्शन पर बिल ला सकती है तो कोई कह रहा है कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) और महिला रिजर्वेशन पर विधेयक सदन में पेश किया जा सकता है. इस विशेष सत्र बुलाने का एजेंडा क्या है इसके बारे में सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है. ऐसे में हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर संसद का विशेष सत्र कब और कैसे बुलाया जाता है. आइए जानने की कोशिश करते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बीते गुरुवार (31 अगस्त) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’(जो पहले ट्विटर था) पर संसद के विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी देते हुए लिखा- "संसद का विशेष सत्र (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261 वां सत्र) 18 से 22 सितंबर तक बुलाया जा रहा है, जिसमें 5 बैठकें होंगी. अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस का इंतजार कर रहा हूं."
साल भर में संसद के तीन सत्र
हमारे देश में संसदीय कैलेंडर को लेकर कोई निश्चित कैलेंडर नहीं है लेकिन साल में तीन बार बुलाया जाता है.
- बजट सत्र (फरवरी-मार्च)
- मानसून सत्र (जुलाई-अगस्त)
- शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 में ये भी बताया गया है कि एक साल में कम से कम दो बार संसद का सत्र चलना चाहिए. इन दोनों सत्रों के बीच अधिकतम अंतर 6 महीना होता है. सत्रों के आयोजन को लेकर कोई डेट फिक्स नहीं रहती है. अगर किसी राज्य में चुनाव नहीं है तो सत्र टाइम से बुला लिया जाता है. कभी-कभी देर भी हो जाती है.
क्यों और कैसे बुलाया जाता है संसद का विशेष सत्र
संसद का विशेष सत्र पहले भी कई बार बुलाया जा चुका है. भारतीय संविधान के आर्टिकल 85 में पार्लियामेंट का स्पेशल स्पेशल बुलाने का उल्लेख है. स्पेशल स्पेशल बुलाने का निर्णय सदीय मामलों की कैबिनेट समिति लेती है.
सरकार को जब लगता है कि किसी विशेष मुद्दे या विषय पर तत्काल रूप से सदन बुलाने की जरूरत है तो सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति या लोकसभा के अध्यक्ष संसद का स्पेशल सत्र बुला सकते हैं. लोकसभा का स्पेशल सेशन बुलाने के लिए सदन के 10 प्रतिशत सांसदों को यानी करीब 55 सांसदों को लिखित रूप में राष्ट्रपति या लोकसभा अध्यक्ष को जानकारी देनी होती है और किस इरादे से यह सत्र बुलाने का आग्रह किया जा रहा है इसकी भी जानकारी पत्र में दी जाती है.
इससे पहले कब-कब बुलाया गया है संसद का विशेष सत्र?
ये दूसरी बार है जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल में संसद का विशेष सत्र बुला रही है. इससे पहले भी कई बार संसद के विशेष सत्र बुलाए गए हैं. एन नजर उन सत्रों पर-
- भारत के आजाद होने के 25 साल पूरे होने यानी 1972 में पहली बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था.
- तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर चर्चा करने के लिए अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत दो दिनों के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था.
- हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए जून 1991 में संसद का स्पेशल सत्र बुलाया गया था.
- अगस्त 1992 में संसद का सत्र बुलाया गया था. इस दौरान मध्य रात्रि का सत्र हुआ था.
- भारत की आजादी के 50 साल पूरे होने पर अगस्त 1997 में 6 दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया गया था.
- 2008 में यूपीए सरकार से जब वाम दलों ने मनमोहन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था तब जुलाई 2008 में विश्वास मत हासिल करने के लिए लोकसभा का स्पेशल सत्र बुलाया गया था.
- केंद्र की मोदी सरकार ने 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया था. लोकसभा और राज्यसभा में 30 जून 2017 को आधी रात तक बैठक हुई थी.
- 2023 में अब 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. ये जानकारी नहीं दी गई है कि ये सत्र किस लिए बुलाया गया है.