ट्रंप ने नहीं दी कोई राहत, रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत की अर्थव्यस्था पर क्या होगा असर? जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट्स
रेसिप्रोकल टैरिफ वह शुल्क होते हैं, जो एक देश किसी अन्य देश द्वारा अपने उत्पादों पर लगाए गए शुल्क के बराबर या उससे अधिक लगाता है. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी अन्य देश ने अमेरिका के उत्पादों पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया है, तो अमेरिका उस देश से आने वाली वस्तुओं पर भी 10 प्रतिशत शुल्क लगाएगा.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि उनकी सरकार हर उस देशों पर पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariff) टैरिफ लगाने पर विचार कर रही है, जो अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर कर लगाते हैं. इस फैसले के बाद, ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि जो शुल्क अन्य देशों द्वारा अमेरिका पर लगाए जाते हैं, उसी अनुपात में अमेरिकी सरकार उन देशों से भी शुल्क वसूल करेगी. इसके बाद, कई विशेषज्ञों ने इस कदम के भारत सहित अन्य देशों पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की है.
रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है?
रेसिप्रोकल टैरिफ वह शुल्क होते हैं, जो एक देश किसी अन्य देश द्वारा अपने उत्पादों पर लगाए गए शुल्क के बराबर या उससे अधिक लगाता है. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी अन्य देश ने अमेरिका के उत्पादों पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया है, तो अमेरिका उस देश से आने वाली वस्तुओं पर भी 10 प्रतिशत शुल्क लगाएगा.
इस तरह के शुल्क व्यापारिक नीतियों में संतुलन बनाए रखने के लिए होते हैं और दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर प्रभाव डाल सकते हैं. ट्रंप प्रशासन ने विशेष रूप से यह आदेश दिया है कि उनकी टीम अन्य देशों द्वारा लगाए गए शुल्कों की जांच करके उन्हीं के बराबर शुल्क लगाने की प्रक्रिया शुरू करें.
भारत पर टैरिफ का असर
जब ट्रंप ने यह घोषणा की, तब उन्होंने भारत का नाम विशेष रूप से लिया और कहा, "भारत अमेरिका के मुकाबले सबसे अधिक शुल्क लगाने वाला देश है." इससे पहले ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक असंतुलन पर भी अपनी चिंता व्यक्त की थी. 2023-24 के दौरान, अमेरिका और भारत के बीच 35.31 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा रहा, जो ट्रंप के लिए एक बड़ी चिंता का विषय था.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका ने भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए, तो भारत पर इसका गहरा असर हो सकता है, खासकर उन उत्पादों पर जिन पर भारत ने उच्च शुल्क पहले से लगाया है.
विशेषज्ञों की राय
Nomura Holdings Inc. और Morgan Stanley जैसे प्रमुख विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के इस कदम से भारत और थाईलैंड जैसे उभरते बाजारों में टैरिफ दरों में वृद्धि हो सकती है. Nomura के अनुसार, "अमेरिकी निर्यातों पर उच्च शुल्क लगाने वाले एशियाई देशों को इससे सबसे अधिक नुकसान हो सकता है." Morgan Stanley के विश्लेषकों ने भी अनुमान जताया कि भारत में 4 से 6 प्रतिशत तक टैरिफ वृद्धि हो सकती है.
इसका अर्थ यह हो सकता है कि अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ने से भारत की निर्यात रणनीतियां प्रभावित हो सकती हैं और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत अमेरिकी रक्षा उपकरणों, ऊर्जा, और विमान जैसे उत्पादों की खरीद में वृद्धि करके इस स्थिति को संतुलित कर सकता है.