'भारत पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल सकता है, तो…?' जेल में बंद एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी ने एशिया कप फाइनल के दौरान उठाया सवाल
जेल में बंद लद्दाखी एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी गीताांजलि अंगमो ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट फाइनल के दौरान सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अगर भारत पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल सकता है, तो उनके पति जैसे राष्ट्रहित के लिए काम करने वाले हीरो को वहां जाने पर रोक क्यों है.
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहे लद्दाख के प्रमुख एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी ने सोशल मीडिया पर भारत और पाकिस्तान के बीच खेल और उनके पति की पाकिस्तान यात्रा में दोहरी नीति पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि वांगचुक ने वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की सराहना की और उनकी यात्रा पूरी तरह पेशेवर थी.
गीताांजलि अंगमो ने X पर लिखा, 'अगर भारत पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल सकता है, तो क्यों न उसके एक हीरो (सोनम वांगचुक) को वहां संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में शामिल होने दिया जाए?' उन्होंने वांगचुक की पाकिस्तान यात्रा के उद्देश्य को स्पष्ट किया और कहा कि यह जलवायु परिवर्तन और पेशेवर गतिविधियों तक सीमित थी. अंगमो ने बताया कि सम्मेलन का नाम 'Breathe Pakistan' था और यह संयुक्त राष्ट्र के पाकिस्तान चैप्टर और Dawn Media द्वारा आयोजित किया गया था.
सम्मेलन का मकसद और वांगचुक की भूमिका
अंगमो ने बताया कि इस सम्मेलन में ICIMOD जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भाग लिया, जो हिंदू कुश क्षेत्रों में काम करती हैं. वांगचुक ने हिमालयी विश्वविद्यालय कंसोर्टियम और HIAL के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि वांगचुक ने भारतीय सेना के लिए शरण स्थल बनाने और चीनी सामान का बहिष्कार करने जैसी गतिविधियों में भी योगदान दिया.
विरोध और NSA के आरोप
गीताांजलि ने NSA के तहत वांगचुक पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि वांगचुक किसी भी सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा नहीं हैं. उन्होंने हालिया नेपाल और बांग्लादेश में हुए 'Gen Z' प्रदर्शनों पर वांगचुक के बयान को भी गलत तरीके से पेश किए जाने की आलोचना की. वांगचुक ने बस यह बताया कि जब सरकारें जवाबदेह नहीं होतीं, तो बदलाव की शुरुआत एक व्यक्ति से हो सकती है.
शांतिपूर्ण आंदोलन और हिंसा
अंगमो ने जोर देकर कहा कि वांगचुक ने लेह एपेक्स बॉडी द्वारा आयोजित स्टेटहुड आंदोलन में हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से काम किया. 24 सितंबर को हुई हिंसा पर उन्होंने नाखुशी जताई और भूख हड़ताल रोक दी. पत्नी ने कहा कि उनके पति सिर्फ लद्दाखियों के लिए सरकार से किए गए वादों की याद दिला रहे थे और उनका आंदोलन पूरी तरह गैर-हिंसक था.